Opinion : नीतीश कुमार ने दिखाया रास्ता मोदी को

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा काम कर दिखाया है, जो उन्हें नेताओं का नेता बना देता है।

पिछले कुछ दिनों से उनकी छवि गठबंधन-बदलू नेता की बन रही थी लेकिन उन्होंने बिहार की विधानसभा से राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करवाकर एक चमत्कार-सा कर दिया है। वह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ है याने भाजपा के विधायकों ने भी नागरिकता रजिस्टर को रद्द कर दिया है।

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यह वही नागरिकता रजिस्टर है, जिसके कारण दिल्ली में दंगे हो रहे हैं, सारे देश में सैकड़ों शाहीन बाग उग आए हैं और सारी दुनिया में भारत की छवि गारत हो रही है। इसी रजिस्टर के प्रस्ताव ने सारे देश में गलतफहमी का अंबार खड़ा कर दिया है। मुसलमान यह मानकर चल रहे हैं कि यह हिंदुत्ववादी मोदी सरकार मुसलमानों को छांट-छांटकर देश-निकाला दे देगी। यह धारणा बिल्कुल निराधार है लेकिन राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के तहत नागरिकों से जो सवाल पूछे जाने हैं, उन्होंने इस गलतफहमी को मजबूत कर दिया है।संसद में गृहमंत्री के बयानों और संसद के बाहर दिए गए भाजपा नेताओं के उकसाऊ भाषणों ने इस गलतफहमी को अंधविश्वास में बदल दिया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आश्वासन के बावजूद कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर जैसी किसी योजना पर सरकार ने विचार ही नहीं किया है, सारे देश में गड़बड़झाला मचा हुआ है। इसी के कारण पड़ौसी मुस्लिम देशों के शरणार्थियों का कानून भी घृणा का पात्र बन गया है। यह गलतफहमी दूर हो और देश का माहौल बदले, इसके लिए मैं बराबर सुझाव देता रहा हूं लेकिन प्रधानमंत्री की मजबूरी मैं समझता हूं। खुशी की बात है कि नीतीश ने मोदी को इस अंधी गली से बाहर निकाल लिया है।

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बिहार विधानसभा ने जो प्रस्ताव पारित किया है, उसमें 2010 में बने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की तर्ज पर ही बिहार में अब 2020 में जनगणना होगी। यही प्रस्ताव अब चाहें तो देश की सभी विधानसभाएं पारित कर सकती हैं। इस प्रस्ताव के द्वारा बिहार के 17 प्रतिशत मुसलमानों के वोट नीतीश ने अपनी जेब में डाल लिए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहें तो दिल्ली में बिहार दोहरा सकते हैं। उन्होंने चुनाव में जो सावधानी दिखाई, यह उसका अगला रुप है। जहां तक पड़ौसी शरणार्थियों का सवाल है, उस कानून में भी संशोधन की मांग नीतीश करते तो बेहतर होता। जैसे नीतीश ने मोदी को नया रास्ता दिखाया, मैं सोचता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय भी मोदी सरकार को इस दलदल से जरुर बाहर निकाल लेगा।
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)