विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली वालों को बिजली का झटका! भरना होगा ज्यादा बिजली बिल!

साउथ दिल्ली में 50 हजार रुपये तक की सकल आय वाले वाले लोगों को अब पेशा कर यानी प्रोफेशनल टैक्स के रुप में सालाना 1800 रुपये या 150 रुपये का भुगतान करना होगा।

New Delhi, Feb 29 : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद ही आम लोगों को बड़ा झटका लगने वाला है, दरअसल दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की स्टैंडिग कमेटी ने शुक्रवार को अपने अधिकार क्षेत्र के तहत 50 हजार रुपये और उससे ज्यादा की मासिक सकल आय के साथ हर किसी पर एक पेशा कर यानी प्रोफेशनल टैक्स लगाने का फैसला लिया है, साथ ही बिजली टैक्स पर भी 1 प्रतिशत बढोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।

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बिजली टैक्स बढाने का फैसला
आपको बता दें कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों से फिलहाल पांच फीसदी बिजली कर वसूला जाता है, लेकिन अब एसडीएमसी ने इसे 5 प्रतिशत से बढाकर 6 प्रतिशत करने का फैसला लिया है, इससे लोगों का बिजली बिल ज्यादा आएगा।

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जल्द कानून लागू
रिपोर्ट के मुताबिक अगले कुछ ही दिनों में बिजली के बिलों पर ये कानून लागू कर दिया जाएगा, दरअसल नगर निगम के वित्तीय भार को कम करने के लिये ये फैसला लिया गया है, आपको बता दें कि दिल्ली में उपभोक्ताओं को दो सौ यूनिट तक बिजली मुफ्त दिया जाता है, केजरीवाल सरकार के इस फैसले की विधानसभा चुनाव के दौरान भी खूब चर्चा हुई थी, अब चुनाव के तुरंत बाद टैक्स बढाये जाने से लोगों के बिजली बिल पर असर पड़ेगा।

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व्यापारी रहेंगे टैक्स कर के दायरे से बाहर
दूसरी ओर साउथ दिल्ली में 50 हजार रुपये तक की सकल आया वाले वाले लोगों को अब पेशा कर यानी प्रोफेशनल टैक्स के रुप में सालाना 1800 रुपये या 150 रुपये का भुगतान करना होगा, 50 हजार रुपये से ज्यादा की आय वालों को 2400 रुपये सलाना या 200 रुपये मासिक शुल्क देना होगा, भले ही वो व्यक्ति एसडीएमसी के क्षेत्र में नहीं रहता हो, लेकिन अगर वो वहां काम करता है, तो भी टैक्स भी देना पड़ेगा, जबकि व्यापारी इस टैक्स के दायरे से बाहर रहेंगे।

4 करोड़ रुपये आय की उम्मीद
एसडीएमसी ने पिछले 4 दिसंबर को वर्तमान बजट सहित 4 लगातार बजटों में कर का प्रस्ताव दिया था, लेकिन बीजेपी की अगुवाई वाली विंग ने विचार विमर्श के बाद इसे खारिज कर दिया था, शुक्रवार को स्टैंडिग कमेटी ने तर्क दिया कि दिल्ली सरकार द्वारा निगम के अनुदान में भारी कमी के बाद ये कदम आवश्यक हो गया, जिससे उसका वित्तीय बोझ बढ गया, एसडीएमसी इस कदम से 4 करोड़ रुपये कमाने की उम्मीद कर रही है।