क्या सरकार को समझ आ रही है शाहीन बाग की स्क्रिप्ट?

क्या भारत सरकार को यह सब दिखाई दे रहा है? उसके पास इन हालात से निपटने की कोई ठोस योजना है? रेडिकलाइजेशन रोके बिना वह देश में शांति और सौहार्द्र कैसे कायम करेगी?

New Delhi, Mar 02 : शाहीन बाग की स्क्रिप्ट अब स्पष्ट है। इस स्क्रिप्ट के तहत दो गिरोह बनाए गए हैं। एक गिरोह हिंसा करेगा। दूसरा गिरोह शांति और संविधान की बातें करेगा। दूसरा गिरोह पहले गिरोह को यथासंभव सुरक्षा कवर भी देगा।
1. सबसे पहले जामिया और बाकी दिल्ली में हिंसा की गई। यहां तक कि स्कूली बच्चों की बसों पर भी हमला किया गया।

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2. फिर शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ। हाथों में तिरंगा, गालों पर तिरंगा। शपथ संविधान की। इरादे देश को तोड़ने के।
3. फिर दिल्ली दंगा हुआ। महीनों से गुपचुप तैयारी चल रही थी। जिस स्टाइल में मोदी ने पाकिस्तान को चेतावनी देकर बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। ठीक उसी स्टाइल में पहले वारिस पठान की चेतावनी आई और फिर दिल्ली में लाशें बिछाई गईं।
4. शाहीन बाग अभी भी विसर्जित नहीं होगा। इधर संविधान पाठ चलता रहेगा। तिरंगे हवा में लहराए जाते रहेंगे।

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5. उधर फिर से कोई हिंसा, कोई हमला, कोई दंगा होगा। स्क्रिप्ट में किस शहर, किस इलाके की बदनसीबी लिखी गई है- क्या दिल्ली में पूरी तरह विफल रहीं खुफिया एजेंसियां समय रहते इसका पता लगा पाएंगी?
लेकिन इस स्क्रिप्ट के दोनों गिरोह आज़ादी की लड़ाई के नरम दल और गरम दल की तरह नहीं हैं। वे लोग विदेशियों से देश को आज़ाद कराने की लड़ाई लड़ रहे थे और अपने लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते थे। ये लोग अपनों के ही खून के प्यासे हैं और देश को फिर से तोड़ने की साज़िश रच रहे हैं।

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मेरी चिंता यह है कि अगर रेडिकल इस्लाम को भारत में बढ़ने से रोका नहीं गया, तो अनेक दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम सामने आएंगे-
1. सारे मुसलमान एक जैसे समझे जाएंगे, जिससे उनका जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होगा।
2. हिंदुओं में भी रेडिकल तत्व रक्तबीज का रूप धारण कर लेंगे।
3. आए दिन हिंसा होगी, मानवता कराह उठेगी और कानून व्यवस्था चरमरा जाएगी।
4. देश की एकता और अखंडता पर भी खतरा पैदा हो सकता है।
5. भारत की धर्मनिरपेक्ष संरचना भी बिगड़ सकती है।
6. अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हो सकता है, जिससे महंगाई और बेरोजगारी और बढ़ सकती है।
7. सरकार (चाहे जिसकी भी हो) के खिलाफ असंतोष बढ़ सकता है।
क्या भारत सरकार को यह सब दिखाई दे रहा है? उसके पास इन हालात से निपटने की कोई ठोस योजना है? रेडिकलाइजेशन रोके बिना वह देश में शांति और सौहार्द्र कैसे कायम करेगी?
विपक्षी दल लोगों की लाशों पर अपनी सियासत चमका रहे हैं और सरकार को शायद समझ में नहीं आ रहा कि करना क्या है। यह एक खतरनाक परिस्थिति है।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)