Opinion- टीवी चैनल वाले टीआरपी के लिये कुछ भी ना करें, तबलीगी जमात को…

स्वयं पर विद्वान का टैग लगाए जो कट्टर मुस्लिम टीवी चैनलों पर हाथ नचा नचा कर जमात के समर्थन मे गला फाड कर चिल्लाते नजर आते हैं, उनके खिलाफ भी क्या कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ?

New Delhi, Apr 13 : शनिवार को प्रधानमंत्री जी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियो के बीच लाकडाउन 30 अप्रैल तक बढाने को लेकर सर्वानुमति दिखी। ऐसा अपेक्षित था भी। जिस तेजी से देश में संक्रमितो और को’रोना से होने वाली मौतों का आंकडा बढा उससे यदि लाकडाउन की अवधि न बढायी जाती तो अनर्थ आशंकित था। हम अमेरिका और इटली से भी बदतर हालत मे हो जाते। एक बार फिर क्षोभ और दुख के साथ कहने पर विवश होना पड रहा है कि इसके लिए काफी कुछ अंशों तक देशद्रोही की परिधि में आ चुकी जाहिल तबलीगी जमात जिम्मेदार है। जमात की देश मे कोरोना फैलाने की कुत्सित मंशा ने ही स्थिति को बद से बदतर किया है ।

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स्वयं पर विद्वान का टैग लगाए जो कट्टर मुस्लिम टीवी चैनलों पर हाथ नचा नचा कर जमात के समर्थन मे गला फाड कर चिल्लाते नजर आते हैं, उनके खिलाफ भी क्या कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ? भगवान के लिए टीवी चैनलों के कर्ताधर्ता इनका बहिष्कार करें। टीआरपी बहुत कुछ है पर सब कुछ भी नहीं।

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मेरी फ्रेंड लिस्ट में प्रिंट और ब्राडकास्ट मीडिया से जुडे सैकडों साथी हैं। सोचें कि ऐसे सही मायने में सहिष्णु मुस्लिम विद्वानों को परिचर्चा और बहस के लिए आमंत्रित किया जाय जो हिन्दू-मुसलमान न करके देशहित की बात करें । ऐसी शख्सियत ढेरों है। उनको बुला कर तो देखिए।

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अपने लोगो से हाथ जोड कर विनती है कि बिना घबराये हमे अविचलित रहते हुए धैर्य के साथ परिस्थितियों का सामना करना होगा बावजूद इसके कि कृषि और उद्योग प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन जान है तो जहान हैं। हम एक दिन फिर मुस्कुराएँगे, खिलखिलाएगे। फिलहाल एक लौह जज्बा दिल में हो कि हमें कोरोना को हराना है, देश बचाना है। आइए संकल्प लें कि हम अडिग है, हम तैयार हैं इस जंग को जीतने के लिए। घर पर रहिए, सुरक्षित रहिए, फासला बना कर रखिए। चेहरा ढकने के लिए मास्क के स्थान पर गमछे या तौलिये का प्रयोग ज्यादा उपयोगी होगा। इस खतरनाक वायरस को परास्त तो होना ही है।

(वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)