Opinion- तबलीगी जमात की बदतमीजियां पनाह मांग गई हैं सरकार के इस एक तुग़लकी फैसले से

मुंबई में आज बंद हो गई हैं शराब की दुकानें , बाकी देश में भी बंद होंगी। पर देश को झुलसा कर। पुलिसकर्मी बिचारे क्या-क्या संभाले।

New Delhi, May 08 : कोरोना योद्धाओं के लिए थाली बजाना , दिया जलाना , फूल बरसाना सब पर एक शराब की खुली दुकानों ने पानी फेर दिया है मिस्टर नरेंद्र मोदी ! लोककल्याणकारी राज्य की यह कैफ़ियत , यह फितरत तो नहीं ही है। गुजराती के मायने सिर्फ़ व्यापारी होना तो नहीं ही होता। लगता ही नहीं कि आप गांधी और मोरारजी देसाई के गुजरात वाले गुजराती हैं।

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तबलीगी जमात की बदतमीजियां पनाह मांग गई हैं सरकार के इस एक तुग़लकी फैसले से। शराबियों के कोहराम से। माना कि रेवेन्यू ज़रूरी है पर ज़िंदगी से भी ज़रूरी ? ठीक है कि राज्य सरकारों ने शराब की दुकानें खोली हैं। रेवेन्यू भी बटोर रहीं , राज्य सरकारें। लेकिन अगर केंद्र सरकार न चाहे तो यह सब क्या मुमकिन है भला ? केंद्र सरकार की सहमति से ही खुली शराब की दुकान। बंद होंगी यह शराब की दुकानें लेकिन तबलीगी जमात की तरह बदबू फैला कर।

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मुंबई में आज बंद हो गई हैं शराब की दुकानें , बाकी देश में भी बंद होंगी। पर देश को झुलसा कर। पुलिसकर्मी बिचारे क्या-क्या संभाले। कैसी-कैसी लंपट सरकारों के राज में जीने को हम अभिशप्त हैं। लेकिन राज्य सरकारों से भी ज़्यादा लंपट केंद्र सरकार है। लानत है। लानत है , ऐसे लॉक डाऊन पर। बात सिर्फ शराब की दुकान खुलने की नहीं है। सोशल डिस्टेंसिग तो पानी मांग ही गई है , जगह-जगह , घर-घर से जो मार-पीट की ख़बरें आ रही हैं , वह माथा ठनकाने वाली हैं। शराब पी कर हत्या करने की खबरें आने लगी हैं। शराबियों के कोहराम से परिवारीजन आत्महत्या करने लगे हैं। अभी और भी अपराध की ख़बरें आनी शेष हैं।

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ऐसी भी खबरें हैं कि लोगों ने मुफ्त मिले राशन बेच कर शराब खरीदे। लखनऊ में तो एक शराबी पुलिस वाला ही पिट गया। कोरोना को इस से जो गति मिली है सो अलग। लोग कश्मीर में अपने सैनिकों की शहादत भी भूल गए हैं , शराब की सुर में। अभी भी गनीमत है। अब से सही , सरकारों को शराब की दुकानें फौरन से पेस्तर बंद कर देनी चाहिए। नहीं , कोरोना से ज़्यादा लोग शराब पी कर मरेंगे और मारेंगे।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडे के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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