कॉमेडियन कपिल शर्मा ने पूछा क्या है भगवान का असली कांसेप्ट? श्रीश्री ने दिया ऐसा जवाब

कपिल शर्मा ने श्रीश्री से पूछा कि कोई कहता है कि मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिये, कोई कहता है मस्जिद जाओ, कोई कहता है कि गुरुद्वारे-चर्च जाओ, तो कोई कहता है कि प्रकृति ही ईश्वर है।

New Delhi, May 08 : कॉमेडी स्टार कपिल शर्मा गुरुवार को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर के साथ लाइव थे, हार्ट टू हार्ट नाम के इस लाइव सेशन के दौरान कपिल ने कई गंभीर और मजेदार सवाल पूछे, इस दौरान जमकर ठहाके लगे, तो कुछ ज्ञानवर्धक बातें भी हुई, सवालों के इसी क्रम में कपिल ने श्रीश्री रविशंकर से पूछा कि भगवान का असली कॉन्सेप्ट क्या है, दरअसल कॉमेडी किंग पूछना चाहते थे कि भगवान सही मायने में क्या हैं?

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कपिल का सवाल
कपिल शर्मा ने श्रीश्री से पूछा कि कोई कहता है कि मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिये, कोई कहता है मस्जिद जाओ, कोई कहता है कि गुरुद्वारे-चर्च जाओ, तो कोई कहता है कि प्रकृति ही ईश्वर है, सही मायने मैं कौन ईश्वर है, ईश्वर क्या है, उनका सही कॉन्सेप्ट क्या है, कॉमेडी स्टार की जिज्ञासा को शांत करते हुए श्रीश्री ने कहा कि ईश्वर प्रेम है, वो तुम्हारे दिल में बसा हुआ है, पूरी प्रकृति में ईश्वर ही है।

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खुदा के सिवा कुछ नहीं
श्रीश्री रविशंकर ने आगे कहा कि लोग कहते हैं कि खुदा नजर नहीं आता, मैं कहता हूं कि खुदा के सिवा कुछ और नहीं है,  कपिल ने आध्यात्म गुरु से ये भी पूछा कि गुरुदेव वो हमारी बचपन वाली खुशी कहां चली गई, इस पर भी रविशंकर ने जवाब दिया।

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बचपन को किया याद
कपिल शर्मा ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि उनके पिता पंजाब पुलिस में हेड कांस्टेबल थे, उनका परिवार छोटे से सरकारी क्वार्टर में रहता था, कपिल ने बताया कि उनकी कॉलोनी में एक चाट बेचने वाला आया करता था, जो तवे पर अपने चमचे को पटककर शोर किया करता था, ये आवाज सुनते ही सारे बच्चे चाट खाने पहुंच जाते थे, कपिल ने पूछा कि वो दो रुपये वाली चाट की खुशी थी, जो अब महंगी गाड़ियों में भी नहीं मिलती।

कहां गई वो खुशी
कपिल ने पूछा वो खुशी कहां चली गई गुरुदेव, जवाब में श्रीश्री ने कहा खुशी ना तो दो रुपये की चाट में है और ना ही दो करोड़ की गाड़ी में, खुशी तुम में है, रविशंकर ने कपिल से कहा कि लेने पर जो खुशी मिलती है, वो सीमित है, लेकिन देने में जो खुशी मिलती है, वो असीमित है, तुम्हें जो खुशी चाहिये वो तुम्हारे भीतर है।