रिक्शा चलाने वाले ने बना डाले 18 हजार रन, 39 शतक, रिकॉर्ड ऐसे जो विराट-रोहित भी ना तोड़ सके!
मोहम्मद युसूफ बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए थे, उनके परिवार के पास पक्का मकान तक नहीं था, घर झुग्गियों में था, पिता रेलवे स्टेशन पर सफाई कर्मचारी थे।
New Delhi, May 10 : 27 अगस्त 1974 को पाक के लाहौर की झुग्गी बस्ती में एक बच्चे ने जन्म लिया, जिसका नाम था युसूफ योहाना, युसूफ एक ईसाई परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन सालों बाद उन्होने ईस्लाम कबूल कर मोहम्मद युसूफ बन गये। मोहम्मद युसूफ का नाम पाकिस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बड़े अदब से लिया जाता है, उनके रिकॉर्ड उनकी महानता को दर्शाता है, उन्होने पाकिस्तान के लिये 90 टेस्ट मैचों में 52 से ज्यादा के औसत से 7530 रन बनाये, जिसमें 24 शतक शामिल है, इसके साथ ही 288 वनडे मैचों में 9720 रन बनाये, इस प्रारुप में उनके बल्ले से कुल 15 शतक निकले, ये आंकड़ें इस बात की तस्दीक करते हैं, कि युसूफ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के महान बल्लेबाजों में से एक रहे हैं।
मुश्किल में बिता बचपन
मोहम्मद युसूफ बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए थे, उनके परिवार के पास पक्का मकान तक नहीं था, घर झुग्गियों में था, पिता रेलवे स्टेशन पर सफाई कर्मचारी थे, घर का खर्च तक नहीं चल पाता था, तो युसूफ ने बेहद ही कम उम्र में टेलर की दुकान पर नौकरी करना शुरु कर दिया, लेकिन दूसरों बच्चों की तरह उन्हें क्रिकेट खेलने का शौक था, बैट खरीदने को पैसे नहीं थे, तो लकड़ी से फट्टे से अपने लिये बैट तैयार किया करते थे, और टेनिस बॉल से खेलते थे, युसूफ सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं बल्कि पेटिंग भी करते थे, यानी उनका बल्ला इतना नजाकत से चलता था कि पिटने वाला गेंदबाज भी उनका मुरीद हो जाता था, तब उनकी उम्र 12 साल थी, जब वो 16 के हुए तो लाहौर के गोल्डन जिमखाना क्लब की नजर उन पर पड़ी, वो शानदार बल्लेबाजी करते थे, लेकिन तब उन्हें घर चलाने के लिये टेलर की दुकान पर काम करना पड़ता था, इतना ही नहीं बाद में युसूफ ने रिक्शा चलाने का भी काम किया।
ऐसे बदली जिंदगी
एक दिन मोहम्मद युसूफ रोज की तरह टेलर की दुकान पर काम कर रहे थे, तभी स्थानीय क्लब के कुछ खिलाड़ी उनकी तलाश में वहां पहुंच गये, दरअसल क्लब की प्लेइंग इलेवन पूरी नहीं हो रही थी, उन्होने युसूफ को अपनी टीम से खेलने के लिये कहा, लेकिन उन्होने मना कर दिया, जिसके बाद सभी खिलाड़ी उन्हें जबरदस्त वहां से उठा ले गये, युसूफ ने उस मुकाबले में शतक ठोक दिया, वो ब्रैडफॉर्ड क्रिकेट लीग का मैच था, इसके बाद युसूफ इस टूर्नामेंट में और भी मैच खेले और टॉप स्कोरर रहे।
क्रिकेट पर ध्यान
यही से युसूफ की जिंदगी बदल गई, उन्होने क्रिकेट पर ध्यान देना शुरु किया, साल 1998 में उनकी जिंदगी में वो लम्हा आया, जिसके बारे में उन्होने कभी सोचा भी नहीं होगा, उन्होने पाकिस्तान टीम में चुन लिया गया, वो टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गये, डरबन में 26 फरवरी को उन्होने डेब्यू किया, हालांकि पहली दो पारियों में उन्होने सिर्फ 6 रन बनाये, इसके बाद युसूफ को जिम्बॉब्बे के खिलाफ बुलावायो टेस्ट में मौका मिला, जहां उन्होने अर्धशतक ठोक कर अपने इरादे जाहिर कर दिया, इसके बाद इसी सीरीज में पहला शतक भी लगाया, अपने घरेलू मैदान लाहौर में नाबाद 120 रनों की पारी खेली।
युसूफ का धमाका
पहले टेस्ट शतक के बाद युसूफ का बल्ला कभी थमा नहीं उन्होने 2002-03 में जिम्बॉब्बे के खिलाफ वनडे सीरीज में बिना आउट हुए 405 रन बना डाले, ये विश्व रिकॉर्ड है, साल 2006 में युसूफ ने खुद को महान बल्लेबाज साबित किया, उन्होने एक कैलेंडर ईयर में 11 टेस्ट मैचों में 9 शतक और 3 अर्धशतक लगाये, इस साल उन्होने टेस्ट में 1788 रन बना डाले, जो कि विश्व रिकॉर्ड है, इस दौरान उनका औसत 99 से भी ज्यादा रहा, सोचिये अगर क्लब के लड़के उन्हें जबरन टेलर की दुकान से उठा नहीं ले जाते तो आज युसूफ कहां होते।