जब महीनों तक गायब हो गया था आसमान से चांद, 900 साल बाद वैज्ञानिकों ने जवाब ढूढ निकाला

क्‍या आप कल्‍पना कर सकते हैं कि आसमान में महीनों तक चांद ही ना दिखे , नहीं ना । लेकिन ऐसा कई सौ सालों पहले हो चुका है । रोचक खबर आगे पढ़ें ।

New Delhi, May 12 : अब से 910 साल पहले चंद्रमा कई महीनों तक आसमान में दिखाई देना बंद हो गया था । कुछ समय के लिए नहीं कई-कई महीनों तक चांद के दर्शन नहीं हो पाए थे । ये बात 910 साल पुरानी है । वैज्ञानिक अब तक तो इस घटना पर शोध कर रहे थे लेकिन कोई नतीजा नहीं मिल रहा था, सारे सवाल अधूरे थे । लेकिन अब ऐसा लगता है कि वैज्ञानिकों को इसका कारण पता चल गया है । चांद का आसमान से चले जाना पृथ्वी की ही एक घटना की वजह से हुआ था ।

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यहां हुआ शोध
महीनों तक आसमान से गायब हुए चांद के रहस्‍य का खुलासा वैज्ञानिकों को एक हालिया रिसर्च में मिला । ये रिसर्च स्विट्जरलैंड की जिनेवा     यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है । शोध ‘क्लाइमेटिक एंड सोसाइटल इम्पैक्ट्स ऑफ अ फोरगॉटन क्लस्टर ऑफ वॉलकेनिक इरप्शन्स इन 1109-1110 सीई” शीर्षक से नेचर जर्नल में प्रकाशित की गई है ।

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ज्‍वालामुखी थे वजह
इस शोध से मिली जानकारी के अनुसार – ज्वालामुखी की राख, सल्फर और ठंडे मौसम की वजह से चांद दिखना बंद हो गया था । यानी चांद अपनी जगह पर था लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन गईं कि धरती से चांद का दिखना असंभ हो गया । इस शोध में शोधकर्ताओं ने पूरी कोशिश इस बात को साबित करने में लगाई है 910 साल पहले ऐसे ज्वालामुखी फूटा करते थे । जिसकी वजह से पृथ्वी के वायुमंडल में अचानक ही सल्फर की मात्रा में बढोतरी हो गई ।

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वैज्ञानिकों को कैसे पता चला ये सल्फर है ?
शोध के अनुसार सल्फर की यह मात्रा बढ़ी और सल्फर स्ट्रैटोस्फियर तक पहुंच गया, लेकिन बाद में यह सल्फर नीचे भी आ गया और बर्फों में जम गया । ये घटना ग्रीनलैंड से लेकर अंटार्कटिका तक हुई । वैज्ञानिकों को इसी बात के  प्रमाण मिले हैं, उन्‍हें इन इलाकों में जगह-जगह बर्फों में सल्फर की मात्रा जमी मिली है । जो कि 1108 से 1110 के बीच की है । अब तक इससे पहले हुई स्‍टडी में ऐसा माना गया था कि सल्फर की मात्रा बढ़ने का कारण 1104 में आईसलैंड के हेक्ला ज्वालामुखी का फूटना था, लेकिन वैज्ञानिकों ने बाद में सुबूत जुटाए और बड़े पैमाने पर उस समय जमा हुए सल्फर का कारण हेक्ला के होने से इनकार किया ।

इस घटना को बताया जा रहा है कारण
ताजा रिसर्च के मुताबिक सल्फर की मात्रा बढ़ने का कारण 1108 और 1110 के बीच बहुत से ज्वालामुखी का फूटना था, जो एक दूसरे के बेहद समीप थे । माना जा रहा है कि ये ज्वालामुखी जापान के माऊंट आसामा के ज्वालामुखी थे जो साल 1108 में फूटे थे । इस प्रकार ज्‍वामुखियों के कारण चांद के छिपने की ये थ्‍योरी कुछ हद तक तो मानी जाती है लेकिन इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं । फिलहाल इस थ्‍योरी को भी पुष्‍ट नहीं किया गया है ।