पत्नी से 50 हजार उधार लेकर शुरू किया था बिजनेस, आज करोंड़ों की कंपनी का मालिक है ये शख्‍स

भारत में बिजनेस आइडिया रखने वालों की कमी नहीं लेकिन आइडिया को जमीन पर लाना उसमें सफल होना ये चंद लोग ही कर पाते हैं । ऐसे ही एक शख्‍स की कहानी आगे पढ़ें ।

New Delhi, May 22: बिना पैसे धंधा कैसे जमेगा, ये एक सवाल है जो अच्‍छे खासे बिजनेस आइडिया को दिमाग में ही कैद रखता है । लेकिन नीरज गुप्‍ता नाम के इस शख्‍स ने अपने आइडिया को दिमाग से बाहर निकाला और पैसों का भी बढि़या जुगाड़ किया । पत्नी से 50,000 रुपये का उधार लिया और अपना बिजनेस स्‍टार्ट किया । धीरे – धीरे मेहनत रंग लाई, बिजनेस भी जम गया और देश में नाम हो गया । ये सक्‍सेस स्‍टोरी है मेरू कैब्‍स के पीछे के माइंड नीरज गुप्‍ता की ।

Advertisement

मुंबई में की पढ़ाई
नीरज गुपता बिजनेस परिवार में ही जन्‍मे, ग्रेजुएशन मुंबई के मीठबाई कॉलेज से पूरा किया । पढ़ाई में कुछ खास अच्‍छे नहीं रहे, एवरेज    स्‍टूडेंट का ठप्‍पा स्‍कूल से ही लग गया था । यहीं वजह रही कि ग्रेजुएशन के बाद नौकरी तक मिलनी मुश्किल हो गई । हालांकि बिजनेस परिवार में जन्‍म लेने का फायदा हुआ, पिता के दोस्त की टेक्सटाइल मैनुफैक्चरिंग कंपनी थ, जहां शिफारिश पर उन्हें नौकरी मिल गयी थी । लेकिन शादी के बाद वो इस नौकरी को छोड़ कर घर पर ही रहने लगे ।

Advertisement

कामकाजी पत्‍नी को पिक-ड्रॉप करते थे नीरज
नीरज गुप्‍ता की पत्नी जेट एयरवेज में काम करतीं थी, वो उन्‍हें एयरपोर्ट ले जाने और लाने का काम करते थे । पांच साल तक वो काम के नाम पर बस यही करते थे । जिसके बाद उनके दिमाग में बिजनेस का आइडिया सूझा । कुछ प्लानिंग की और पत्नी से ही 50,000 रुपये उधार के तौर पर लेकर काम शुरू किया । साल था 1999, दोस्‍त के साथ मिलकर इलीट क्‍लास नाम की कंपनी की शुरुआत की । काम था, ग्राहकों को गाड़ियों की रिपेयरिंग और ऑटोमोबाइल्स की वार्षिक मेंटेनेंस सेवा देना । वक्‍त के साथ बिजनेस बढ़ा और कॉन्‍टैक्‍ट्स भी । मार्केट में पहचान भी बन रही थी, बड़ी कंपनियां जैसे ब्लू डार्ट, सोनी भी इनकी ग्राहक बन चुकी थी ।

Advertisement

2001 में नई शुरुआत
दो साल बाद ही साल 2001 में नीरज गुप्‍ता ने बिजनेस को बढ़ाते हुए कॉरपोरेट कर्मचारियों के आने जाने के लिए बस सेवा शुरू कर दी, 15 लाख का लोन लेकर बस खरीदी, टाटा ग्रुप के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया । फिर उसी बस को लगा दिया टाटा के ऑफिस में शटल सर्विस के लिए। इसके करीब 6 वर्ष बाद मेरु कैब्स की नींव रखी गई । शायद आप ये ना जानते हों कि भारत में मीटर से चलने वाली पहली रेडियो टैक्सी थी मेरु कैब्स। इस बिजनेस को शुरू तो कर दिया गया लेकिन पैसा अब भी समस्‍या थी । लेकिन जहां चाह है वहां राह है । दिमाग लगता गया और ब्रांड बढ़ता गया ।

मेरू कैब्‍स ने बनाई साख
नीरज गुप्ता के आईडिया ने काम किया और कुछ ही महीनो में इनकी कम्पनी के लिए इंडिया वैल्यू फण्ड ने 200 करोड़ का इन्वेस्टमेंट सेंक्‍शन कर दिया । आज की तारीख में मेरू कैब्‍स 6 शहरों में है, 9000 से भी ज्यादा गाड़ियाँ 30,000 ट्रिप्स करती हैं । महिलाओं के लिए स्पेशल कैब सर्विस भी शुरू की हुई है, खास बात ये कि इन गाडि़यों की ड्राइवर भी महिला ही होंगी । मेरू कैब्‍स का एनुअल टर्न ओवर 100 करोड़ पार है।