मजदूर की बात कौन करे ,भ्रष्टाचार ने तो आजाद भारत को ही कर दिया मजबूर-लाचार

भ्रष्टाचार को जो बीज पड़ा था, वह आगे चलकर वट वृक्ष बन गया। अब भला वट वृक्ष के नीचे मजदूर नामक पौधे कैसे पनप सकते थे ?

New Delhi, May 24 : महात्मा गांधी के बाद केंद्रीय गृह मंत्री सरदार पटेल ऐसे नेता थे जो भ्रष्ट सत्ताधारियों को कुछ कह सकते थे। सन 1946 से 1961 तक बिहार के मुख्य सचिव रहे एल.पी.सिंह ने लिखा है, ‘‘मुझे अब भी याद है कि 1950 में सरदार पटेल के निधन की खबर सुनने के बाद किस तरह की राहत का भाव बिहार के एक मंत्री के चेहरे पर देखा था। उस मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप थे और सरदार ने उन्हें फटकारा था।’’-

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संदर्भ ग्रंथ-‘पोट्र्रेट आॅफ लालबहादुर शास्त्री’-लेखक एल.पी.सिंह। याद रहे कि आजादी मिलने के साथ ही बिहार में लोहा कांड, छोआ कांड और साठी कांड जैसे घोटाले होने शुरू हो गए थे। समय बीतने के साथ स्थिति और भी खराब होती चली गई।

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भ्रष्टाचार को जो बीज पड़ा था, वह आगे चलकर वट वृक्ष बन गया। अब भला वट वृक्ष के नीचे मजदूर नामक पौधे कैसे पनप सकते थे ? आज मजदूरों जो की दुर्दशा है,उसकी नींव उन्हीें दिनों पड़ चुकी थी।

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कल्पना कीजिए कि हमारे देश के भ्रष्ट हुक्मरानों, भ्रष्ट अफसरों और मुनाफाखोर व्यापारियों ने देश के साधनों को नहीं लूटा होता तो मजदूर-किसान से लेकर अन्य लोगों की स्थिति भी आज से बेहतर होती। हालांकि सारे नेता और अफसर भ्रष्ट ही नहीं थे। अनेक अत्यंत ईमानदार थे। पर समय के साथ उनका असर घटता गया और उनकी संख्या कम होती चली गई।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)