इस गांव में नहीं होती हनुमान की पूजा, भगवान की एक भूल की सजा अब तक भुगत रही हैं यहां की महिलाएं

बजरंगबली के नाम से परहेज करने वाला ऐसा कौन सा गांव है । यही सोच रहे होंगे ना आप, आगे जानिए एक ऐसा गांव जहां हनुमान जी की ना तो पूजा होती है और ना ही उनका नाम लेने की इजाजत है ।

New Delhi, May 28: करोड़ों करोड़ देवी-देवताओं में हनुमान जी एक ऐसे देव हैं जिनकी आराधना सबसे ज्‍यादा की जाती है । हनुमान जी को कलियुग का देव कहा गया है । ऐसा इसलिए क्‍योंकि हनुमान जी अजर अमर हैं, उन्‍हें कोई मार सके ऐसा कोई हुआ ही नहीं । कहते हैं हनुमान जी से एक बार कुछ मांग लो तो वो उसे जरूर पूरा करते हैं । लेकिन क्‍या आप विश्‍वास करेंगे, हमारे देश में एक जगह ऐसी भी है जहां हनुमान जी को बिलकुल भी नहीं माना जाता है । उनकी पूजा करना वर्जित है ।

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हनुमान जी के लिए इस गांव में है नफरत
हनुमान जी के प्रति नफरत भरा ये गांव उत्तराखंड के चमोली में स्थित है । इस गांव में हनुमान जी की एक भी मूर्ति नहीं है । हनुमान जी के प्रति जो नाराजगी इस गांव में है वो सदियों पुरानी है । इस परंपरा का पालन गांव में अब तक किया जाता है । खासतौर से महिलाओं को इसका मुख्‍य कारण माना जाता है । सदियों पुरानी ये कथा आगे पढ़ें ।

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जब हनुमान हुए थे मूर्छित
कथा के अनुसार – जब मेघनाद के बाणों से लक्ष्‍मण जी घायल हो गए थे तब वैद्य जी ने हनुमान जी को हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा था। हनुमान जी उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरि पर्वत पर पहुंचे। तब हनुमान जी संजीवनी की जगह पूरा पहाड़ ही उखाड़कर ले गए। तभी से इस गांव के लोग हनुमान जी से नाराज़ रहते हैं और ये परंपरा इस तरह सदियों से चलती आ रही है।

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नहीं होती हनुमान जी की पूजा
तभी से इस गांव में ना तो हनुमान जी की पूजा होती है और ना ही कोई उनका नाम लेता । हर वर्ष यहां द्रोणागिरी पर्वत की पूजा करते हैं , जिसमें महिलाओं को दंडवश शामिल नहीं किया जाता । क्‍योंकि एक महिला ने ही उन्‍हें पर्वत का वो हिस्‍सा दिखाया था जहां संजीवनी बूटी उगती थी । हनुमान जी उस बूटी को नहीं ढूढ़ पाए और पूरा पर्वत ही उठाकर चले गए । भूटिया ट्राइब के वो सभी लोग जो द्रोणागिरी में रहते हैं वो हनुमान जी की पूजा नहीं करता । अगर कोई ऐसा करने का साहस करता है तो उसे समाज से बेदखल कर दिया जाता है ।