Opinion – भयावह रुप ले चुका है कोरोना, अपनी-अपनी जान बचाइये!
कुछ महीनों के लिए आप लोग मोदी-राहुल ब्लेमगेम टाइप चिरकुट राजनीति से दूर रहिए और अपनी अपनी जान बचाइए।
New Delhi, Jun 07 : दिल्ली में अस्पतालों में बेड की कमी हो रही है और दाखिला न मिल पाने से भी कुछ लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है। कई लोगों की तो जांच तक नहीं हो पा रही। घर में क्वारन्टीन रहते हुए भी लोग दम तोड़ने लगे हैं। मुंबई के हालात पहले से ही बुरे हैं। धीरे धीरे देश के दूसरे हिस्सों में भी ऐसी ही परिस्थितियां बनती जा रही हैं।
ऐसे में मेरे लिए संभव नहीं है कि कोविड की त्रासदी को छोड़कर इस वक़्त किसी अन्य मुद्दे पर बात करूं और यह जताऊं जैसे देश में सब कुछ ठीक है और आगे भी ठीक रहने वाला है। जब मेनस्ट्रीम मीडिया विज्ञापन की घूस खाकर देश का ध्यान भटकाने में लगा हो, और सोशल मीडिया पर भी प्रोपगंडा तंत्र ही हावी है, तब तो हम जैसों से और भी संभव नहीं कि देश को आगाह न करें।
सरकारें कोरोना के आगे आत्मसमर्पण कर चुकी हैं और अब उन्हें आपकी जान की परवाह नहीं है। इसीलिए मैंने कहा था कि कुछ महीनों के लिए आप लोग मोदी-राहुल ब्लेमगेम टाइप चिरकुट राजनीति से दूर रहिए और अपनी अपनी जान बचाइए। जो लोग मारे जाएंगे, वे न लौटकर राजनीति कर पाएंगे, न लौटकर अर्थव्यवस्था को गति दे पाएंगे। राजनीति करने और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आपका ज़िंदा रहना ज़रूरी है।
इसलिए सावधान हो जाइए। भारत में अमेरिका, इटली, ब्रिटेन, स्पेन से ज़्यादा बुरे हालात होने वाले हैं। कड़वा बोलने के कारण मैं पहले ही बहुत बदनाम हूँ। लेकिन बदनामी के डर से सच बोलना और अपने लोगों को समय रहते आगाह करना कैसे छोड़ दूं?
इसलिए अब भी संभल जाइए। सावधान हो जाइए। जीवित रहेंगे तो अपराधी भी आपके दरवाजे पर नाक रगड़कर आपसे वोट मांगने आएंगे। गुज़र जाएंगे तो शरीफ लोग भी आंसू नहीं बहाएंगे और सरकारों को तो फ़र्क़ पड़ने से रहा।
समझ रहे हैं, क्या कह रहा हूँ? यदि हाँ, तो चुपचाप घर बैठिए। भले चार महीने बैठना पड़े या छह महीना, लेकिन घर बैठिए। बाहर निकलते रहेंगे तो मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग भी बचा नहीं पाएंगे, इस बात की संभावना अब कम दिखाई दे रही है। धन्यवाद।