सुशांत के अंतिम संस्‍कार में शामिल हुए विवेक ओबरॉय ने लिखा खुला खत, इंडस्‍ट्री की असलियत सामने ला दी

सोमवार को सुशांत सिंह राजूपत के अंतिम संस्‍कार में शामिल हुए विवेक ओबरॉय ने देर रात एक ओपन लेटर लिखकर पूरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक वेक अप कॉल दी है ।

New Delhi, Jun 16: ‘काई पो चे’ जैसी फिल्‍म से इंडस्‍ट्री में डेब्‍यू करने वाले सुशांत सिंह राजपूत 7 सालों के सफर में ऐसे मुकाम पर थे जहां से तथाकथित लोगों को उनसे डर लगने लगा था । नतीजतन उन्‍हें फिल्‍में ना देने के लिए दबाव डालना, फिल्‍में छीनना जैसे षड्यंत्र रचे जाने लगे थे । ये सब आरोप बॉलीवुड के उन ए-लिस्‍टर प्रोडक्‍शन हाउस और निर्देशकों पर लगे हैं जो स्‍टार किड्स को बढ़ावा देने और किसी भी आउटसाइडर के लिए दरवाजे तक ना खोलने को तैयार रहते हैं । इस कड़ी में अब विवेक ओबरॉय का नाम भी जुड़ गया है, जिन्‍होने एक ओपन लेटर से इंडस्‍ट्री को सच का आईना दिखाया है ।

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अंतिम संस्‍कार में शामिल हुए विवेक ओबरॉय
सोमवार को सुशांत सिंह राजपूत के अंतिम संस्‍कार में पहुंचने वाले चुनिंदा सितारों में विवेक ओबरॉय भी थे । छाता लिए विवेक सुशांत को अंतिम विदाई देने आए थे । सुशांत के सुसाइड ने कहीं ना कहीं विवेक को उनके वो दिन याद दिला दिए जब वो भी एक दबाव से गुजर रहे थे । एक बड़े सितारे से बैर लेना उनके पूरे करियर को तबाह कर चुका था । और ये सब तब था जब वो वेटरन सुपरस्‍टार सुरेश ओबरॉय के बेटे थे । विवेक ने अपने खुले खत में इंडस्‍ट्री का ये सच सामने ला दिया है ।

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विवेक ओबेरॉय का खुला खत
विवेक ने लिखा कि काश वो सुशांत सिंह राजपूत की मदद कर पाते, उनके साथ अपना अनुभव शेयर कर पाते । विवेक ने सोमवार देर रात एक लंबी चौड़ी पोस्‍ट लिखी । उन्‍होने लिखा – “आज सुशांत के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए बहुत तकलीफ हो रही थी. मैं सच में ये दुआ करता हूं कि काश मैं उसके साथ अपना पर्सनल एक्सपीरियंस साझा कर पाता और उसके दर्द को कम करने में उसकी मदद कर पाता. इस दर्द का मेरा अपना सफर रहा है, ये बहुत तकलीफभरा और बहुत अकेला हो सकता है.”

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‘ऐसा नहीं करना चाहिए था’
विवेक ने बताया, “…लेकिन मौत कभी भी उन सवालों का जवाब नहीं हो सकती है, आत्महत्या कभी कोई हल नहीं हो सकती है. काश वह अपने परिवार, अपने दोस्तों और उन फैन्स के बारे में सोचना बंद कर देता जो आज इस बड़े नुकसान को महसूस कर रहे हैं… उसने एहसास किया होता कि लोग उसकी कितनी परवाह करते हैं.” विवेक ने आगे लिखा – “आज जब मैंने उसके पिता को देखा उसकी चिता को अग्नि देते हुए, तो उनकी आंखों में जो दर्द था वो नाकाबिल-ए-बर्दाश्त था. जब मैंने उसकी बहन को रोते देखा और उसे वापस आ जाने के लिए कहते देखा तो मैं बता नहीं सकता कि मुझे अपने मन की गहराई में कैसा महसूस हुआ था.”

वेक अप कॉल
विवेक ओबरॉय ने आगे लिखा – “उम्मीद करता हूं कि हमारी इंडस्ट्री जो खुद को एक परिवार कहती है खुद का गंभीर रूप से अवलोकन करेगी, हमें बेहतर बनने के लिए बदलने की जरूरत है, हमें एक दूसरे की बुराइयां करने से ज्यादा एक दूसरे की मदद करने की जरूरत है. अहंकार के बारे में कम सोचते हुए टैलेंटेड और डिसर्विंग लोगों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है.” उन्‍होने लिखा – “इस परिवार को वाकई एक परिवार बनने की जरूरत है. वो जगह जहां टैलेंट को तराशा जाता है न कि उसे नष्ट किया जाता है. ये हम सभी के लिए एक वेकअप कॉल है. मैं मुस्कुराते रहने वाले सुशांत को हमेशा मिस करूंगा, मैं दुआ करूंगा कि ईश्वर वो सारा दर्द ले ले जो तुमने महसूस किया है मेरे भाई, और तुम्हारे परिवार को इस नुकसान का सामना करने की शक्ति दे. उम्मीद है कि अब तुम एक बेहतर जगह पर होगे. शायद हम लोग तुम्हें डिजर्व ही नहीं करते थे.”