21 जून को लगेगा महाग्रहण, 900 साल बाद बना संयोग, करनी चाहिए ये विशेष पूजा

जानिए ग्रहण के दौरान की जाने वाली विशेष पूजा के बारे में, जिसे करने से आप ग्रहण के दुष्‍प्रभावों से बचे रहेंगे और आपको लाभ की प्राप्ति होगी ।

New Delhi, Jun 20: 21 जून का इस साल का सबसे लंबा और पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है । खगोलविज्ञानियों के अनुसार सूर्य ग्रहण करीब 6 घंटे का होगा । इस बार खास बात ये है कि ग्रहण के दौरान सूर्य सोने के कड़े जैसा चमकेगा । ये रिंग ऑफ फायर एकलिप्‍स भी कहते हैं । ग्रहण काल में कुछ पलों के लिए पृथ्वी पर रात जैसा अंधेरा छाया रहेगा । ऐसा इसलिए होगा क्‍योंकि सूर्य ग्रहण लगने से सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुंचेगा और धरती पर अंधेरा छा जायेगा ।

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ग्रहण का समय
भारतीय समय के अनुसार यह सूर्य ग्रहण सुबह 09:15 पर आरंभ होगा और 03:04 बजे समाप्त हो जाएगा । सूर्य ग्रहण दोपहर 12:10 बजे अपने चरम पर होगा । आपको बता दें सूर्य ग्रहण लगने का कारण है पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर घूमना और चंद्रमा का पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाना । जब चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो वह सूर्य के प्रकाश को ढक देता है । इसी समय को ग्रहण काल कहते हैं ।

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सूर्य ग्रहण का प्रभाव
अब ज्योतिष में कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण एक महत्त्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जिसका प्रभाव मानव जीवन एवं अन्य जीवों पर भी पड़ता है । ये सकारात्‍मक भी हो सकता है और नकारात्‍मक भी । इंसानों में ग्रहण का प्रभाव उनके राशि में विद्यमान ग्रह, नक्षत्र की स्थिति के अनुसार होता है । इस बार के सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव मिथुन, धनु और वृश्चिक राशियों पर है । अन्‍य राशियों पर मध्‍यम प्रभाव है । सूर्य ग्रहण के दुष्‍प्रभावों को समाप्‍त करने के लिए विशेष पूजा बताई गई है ।

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विशेष पूजा
सूर्य ग्रहण के दुष्‍प्रभावों से बचने के लिए व्‍यक्ति को सूर्य मंत्र का जाप करने की सलाह दी जाती है । इसके साथ ही सूर्य मंत्र: ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ के अलावा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का भी ध्‍यान करें । सूर्य ग्रहण के बाद अन्न, कपड़े और धन का दान कर पुण्य कमाए जा सकते हैं । ऐसा करने से ग्रहों के दोष समाप्‍त होते हैं ।

घर में कर सकते हैं शांति पाठ
मान्‍यता है कि सूर्य ग्रहण के दिन सभी मनुष्‍यों को अपने-अपने घरों में रहकर शांतिपाठ करना चाहिए । सूर्य ग्रहण के समय राहु –केतु की शांति के लिए भी पाठ करना चाहिए । राहु-केतु की शांति के लिए ग्रहण लगने से पहले ही तिल, तेल, कोयला, काले वस्त्र दान के लिए रख लें और ग्रहण ख़त्म होने के बाद इनका दान कर दें । ग्रहण के बाद संभव हो तो संध्‍या काल में दीपदान करना चाहिए ।