‘अक्सर दिखाई नहीं देता, पर शामिल ज़रूर होता है, हर खुदकशी करने वाले का कातिल ज़रूर होता है’

मैं उम्मीद करता हूँ कि मुंबई पुलिस, जिसमे एक से एक काबिल अफसर हैं, जिन्होंने मुश्किल से मुश्किल मामलो की गुत्थी सुलझायी है, ऐसे अफसर, आगे आएंगे और देश के एक होनहार युवा अभिनेता के सुसाइड की तह तक पहुंचेंगे।

New Delhi, Jun 21 : 34 साल के एक्टर, और बॉलीवुड के अमूमन कम पढ़े लिखों की जमात में जीनियस कहे जाने वाले सुशांत सिंह राजपूत शायद डिप्रेशन में भी ये बात समझ रहे थे कि टूटे हुए दिलों की परवाह मायानगरी ने कभी नहीं की…चाहे वे गुरुदत्त हों या परवीन बॉबी या फिर दिव्या भारती । शायद इसीलिए सुशांत सिंह, किसी से नहीं खुले, और न ही कोई सुसाइड नोट उन्होंने लिखना मुनासिब समझा। लेकिन सुशांत की त्रासदी, दिलों की नाकामी से आगे की कथा है । वे गुरुदत्त की तरह…किसी टूटे हुए दिल के शिकार नहीं थे।

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हाल-फ़िलहाल, सुशांत के बारे में बहुत सी दबी छुपी बातें पता चली जिस पर मैं कुछ लिखना चाहता था, लेकिन सच पूछिए तो मन नहीं हुआ। .. भरी जवानी में कोई बड़ी प्रतिभा, कोई होनहार, अवसाद में उतर कर अपने जीवन से खुद हाथ धो बैठे, तो उस मौत पर लिखना आसान नहीं होता। लेकिन मैं अवसाद से परे हटकर, अपराध पर केंद्रित होना चाहता हूँ।
सुशांत का डिप्रेशन, गुरुदत्त या दिव्या कि तरह, सिर्फ मोहब्बत के रंजो-गम से नहीं उबरा था। शायद इसीलिए मैं मुंबई पुलिस की जांच की अब तक की दिशा से सहमत नहीं हूँ। पुलिस ये साबित करना चाहती है कि सुशांत, अपनी फ्रेंड अंकिता लोखंडे से रिश्ते टूटने के बाद गहरे डिप्रेशन में चले गए थे। लेकिन मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन ज़ाहिर करते हैं की सुशांत इस प्रेम कथा से भी पहले, अवसाद से दो-चार थे। सुशांत के मनोचिकित्सक से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि की इस युवा अभिनेता के रिश्ते रिया चक्रवर्ती और कृति से भी थे। सूत्रों का कहना है कि अंकिता उनके सबसे करीब ज़रूर थीं, और उनसे दोस्ती खत्म होने का सुशांत पर असर भी पड़ा , पर इस अभिनेता की दोस्ती और भी कई अभिनेत्रियों से थी।
प्रेम के, मित्रता के बनते बिगड़ते रिश्तों की आढ़ में अब पुलिस जांच की दिशा को उस रास्ते कि ओर नहीं बढ़ाना चाहती जहाँ से सुशांत को नीचे धकेला गया था। जिस रास्ते से सुशांत के चमकते करियर को एक अंधेरी गली दिखाई गयी। उन्हें मिलने वाले बड़ी फिल्मों के कई ऑफर, जहाँ एक एक करके खारिज करवाए गए। ऐसे रास्ते की ओर पुलिस अब बढ़ने से हिचकिचा रही है ।

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दरअसल धोनी और छिछोरे की बड़ी कामयाबी के बाद सुशांत, युवा अभिनेताओं की पहली पंक्ति में जगह पाने लगे थे। पर उस मक़ाम पर पहुँचते ही, वे बॉलीवुड के उस मज़बूत सिंडिकेट के सामने आ गये , जिसके तार सत्ता और कारपोरेट से जुड़े हैं । सिंडिकेट भी ऐसा जिसके बिना किसी बढ़े प्रोडक्शन, डिस्ट्रिब्यूशन या म्यूज़िक हाउस का मायानगरी में चलना मुश्किल हो । मुंबई की पुलिस भी इस सच्चाई से वाकिफ है। शायद इसीलिए पुलिस ने सुशांत के सुसाइड को, देवदास की कहानी में ढालकर उस सिंडिकेट को अब तक ढकने की कोशिश की। मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर पुलिस पर ऊपर से दबाव हो कि सिंडिकेट को जांच से दूर रखा जाए। सच तो ये है कि इस सिंडिकेट में ऐसे कई स्टार हैं जो सत्ता का परसेप्शन बदलने के लिए उसके प्रचार तंत्र का हिस्सा हैं।

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ज़ाहिर है, पुलिस असली रास्ते से हटकर, प्रेम कहानियों की तरफ बढ़ रही है।
इससे पहले कि अगली पोस्ट में, मैं किसी दस्तावेज़ी साक्ष्य या परिस्थितिजनक साक्ष्य के आधार पर कुछ चर्चित नामो के बारे में, उनके रोल के बारे में विस्तार से लिखूं, मैं सुशांत के अवसाद और उसके परिणामस्वरूप उनकी आत्महत्या के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ।
अमेरिका और ब्रिटैन जैसे देशों में सुसाइड के तात्कालिक कारणों पर अदालतें ज़ोर नहीं देती हैं । बल्कि अदालतें ये जानना चाहती हैं कि अगर सुसाइड के पीछे मुख्य कारण एक्यूट डिप्रेशन है तो ऐसे डिप्रेशन का ट्रिगर पॉइंट क्या था ? डिप्रेशन किस वजह से हुआ ? डिप्रेशन का मूल कारण क्या था ? यानि जिस वजह से पीड़ित की मनोस्थिति बिगड़ी, और इस बिगड़ी हुई स्थिति से उसकी पूरी दुनिया बिगड़ गयी, वो वजह ही उसके सुसाइड की मुख्य वजह मानी जाती है ।

सहज भाषा में अगर कहूँ, तो सुशांत के करियर की तबाही ही उसके डिप्रेशन की शुरुआत की वजह है। और इस तबाही के पीछे जो लोग उसे सुनियोजित तरीके से अर्श से फर्श पर लाये , वे ही सुशांत के मौत के उत्प्रेरक हैं।
मैं उम्मीद करता हूँ कि मुंबई पुलिस, जिसमे एक से एक काबिल अफसर हैं, जिन्होंने मुश्किल से मुश्किल मामलो की गुत्थी सुलझायी है, ऐसे अफसर, आगे आएंगे और देश के एक होनहार युवा अभिनेता के सुसाइड की तह तक पहुंचेंगे। वे उन चेहरों को बेनकाब करेंगें जो सिंडिकेट बनाकर बॉलीवुड पर राज कर रहे हैं। अगर इस मज़बूत सिंडिकेट पर देश के दूर दराज़ इलाकों से मुंबई आने वाली प्रतिभाओं के शोषण करने के आरोप हैं, और सुशांत की मौत के पीछे भी यही लोग हैं तो इस सिंडिकेट पर खुलासा होना चाहिए । शायद ये कहना गलत नहीं होगा कि सुशांत जैसा सितारा, टूटा नहीं, तोड़ा गया है।
अक्सर दिखाई नहीं देता
पर शामिल ज़रूर होता है
हर खुदकशी करने वाले का
कातिल ज़रूर होता है।

(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)