गलवान हिंसक झड़प को लेकर पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह का दावा, लड़ाई का ‘रहस्‍यमयी कारण’ बताया

गलवान घाटी में हुई भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प के कारण का पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने खुलासा किया है । आपको बता दें इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे ।  

New Delhi, Jun 29: गलवान घाटी में 15 जून की रात को क्‍या हुआ ? क्‍यों भारतीय और चीनी सैनिक आपस में लड़ पड़े ?  जो पिछले कई सालों में नहीं हुआ, ऐसी घटना क्‍यों हो गई ? भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प की वजह क्‍या थी ? मामले में अब केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ वी के सिंह ने ऐसा दावा किया है कि उसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे । वीके सिंह के मुताबिक चीनी तंबुओं में लगी रहस्‍यमयी आग के कारण भारतीय सैनिक भड़क उठे थे।

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तंबू में क्‍या रखा था, जिसमें आग लगी …
पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने कहा कि 15 जून की रात को जब कमांडिंग ऑफिसर संतोष बाबू पेट्रोल पॉइंट 14 पर पहुंचे तो पाया कि चीन ने वहां से अपने टेंट को नहीं हटाया था । बताया जा रहा है कि चीन ने वो तंबू इसलिए लगाया था जिससे पता चल सके कि भारतीय सेना पीछे गई या नहीं । जब बातचीत के बाद दोनों के पीछे जाने की बात हुई तो संतोष बाबू ने चीनी सैनिकों से उसे हटाने को कहा । वीके सिंह ने बताया कि जब चीनी जवान तंबू हटा रहे थे तभी अचानक उसमें आग लग गई। चीनियों ने तंबू में क्या रखा हुआ था, ये बात सामने नहीं आ पाई है ।

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बहस हुई, फिर हिंसक झड़प
वीके सिंह ने कहा कि इसके बाद ही सैनिकों के बीच पहले बहस हुई जो फिर हिंसक झड़प तक पहुंच गई। वीके सिंह ने एबीपी न्यूज से हुई बातचीत में बताया कि 1962 के बाद से ही पेट्रोल पॉइंट 14 (पीपी 14) हमारे पास है। indo china अब भारत ने श्योक नदी के साथ-साथ रोड बनाई है जो दौलत बेग ओल्डी तक जाती है। पहले जो सामान 15 दिन में पहुंचता था वह इस सड़क की मदद से सिर्फ 2 दिन में पहुंच जाता है। वीके सिंह के मुताबिक, चीन की तरफ से उसे यह सड़क नहीं दिखती। इससे ही चीनी सेना में खलबली है। इस सड़क पर नजर बनी रहे इसके लिए उसने पीपी 14 पर दावा करना शुरू कर दिया, उसके सैनिकों ने आगे आने की कोशिश की जिन्हें भारतीय जवानों ने रोक दिया।

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पहले जैसे नहीं हैं हालात
वीके सिंह ने आगे बताया कि दोनों देशों के बीच जब बातचीत हुई तो यह तय हुआ था कि स्थिति वैसी ही रहेगी जैसी 15 जून से पहले तक थी । नियमानुसार यानी चीनी सेना को पीछे जाना था। इसके अलावा दोनों देशों की सेना के बीच ये भी तय हुआ था कि पीपी 14 पर, उसके पीछे 2 किलोमीटर तक और 5 किलोमीटर के दायरे में कितने-कितने सैनिक रह सकते हैं। लेकिन चालबाज चीन ने इसका पालन नहीं किया । सैनिक पीछे नहीं हटे और इसका परिणाम 15 जून को दोनों ओर से हुई हिंसक झड़प के रूप में देखना पड़ा ।