करगिल का ‘शेरशाह’:  वो कैप्टन, जिसने चोटी पर कब्जा कर कहा ‘ये‍ दिल मांगे मोर’

या तो मैं जीत के बाद तिरंगा लहराकर आउंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपट कर आऊंगा, लेकिन आऊंगा ज़रूर- विक्रम बत्रा

New Delhi, Jul 07: शहीद विक्रम बत्रा ने करगिल में 5140 की चोटी पर कब्जा करने के बाद टीवी पर ‘ये दिल मांगे मोर’ कहकर भारतीयों का जीत लिया था । आज ही के दिन करगिल विजय को सार्थक करने वाले इस वीर ने रणभूमि में ही अपने प्राण त्यागे थे । देश के लिए शहीद होने वाले विक्रम बत्रा की जिंदगी से जुड़े कुछ पहलुओं को आगे जानते हैं, एक बहादुर जवान का जीवन करोड़ों के लिए प्रेरणा है । विक्रम बत्रा यारों के यार थे और उनकी मोहब्‍बत वो भी उनके जीवन का एक बहुत जरूरी हिस्‍सा थी । विक्रम की शहादत आज भी भारत का सीना गर्व से ऊंचा कर देती है ।

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यादों में जिंदा हैं कैप्‍टन बत्रा
आज से करीब 20 साल पहले 7 जुलाई 1999 को आज ही के दिन करगिल के हीरो विक्रम बत्रा,  अपने साथी अफसर को बचाते हुए शहीद हो गए थे । कैप्‍टन बत्रा यारों के यार थे, और जाते हुए भी वो यही यारी निभा गए । 7 जुलाई 1999 के दिन, एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए बिक्रम बत्रा की जान चली गई थी । इस अफसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ. तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं.’विक्रम बत्रा के साथी नवीन, जो बंकर में उनके साथ थे उन्‍होने बताया कि अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटा । जिसमें, नवीन बुरी तरह घायल हो गए । विक्रम बत्रा ने तुरंत उन्हें वहां से हटाया, जिससे नवीन की तो जान बच गई लेकिन कैप्टन ने देश की मिट्टी के लिए जान दे दी ।

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दोस्‍तों को कही थी ये बात
कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत के बाद उनसे जुड़ा एक किस्‍सा सामने आया था, वो करगिल युद्ध से कुछ महीने पहले ही अपने घर पालमपुर आए थे । वहां दोस्तों को पार्टी  देने के लिए कैफे ले गए । यहां उनसे उनके एक दोस्त ने कहा था कि, अब वो फौज में हैं, अपना ध्यान रखा करें । जिस पर विक्रम बत्रा ने कहा था कि चिंता मत करो । या तो मैं जीत के बाद तिरंगा लहराकर आउंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपट कर आऊंगा, लेकिन आऊंगा ज़रूर । विक्रम बत्रा के बहादुरी के किस्से भारत में ही नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी महशूर है, दुश्‍मन सेना ने उन्हें ‘शेरशाह’ नाम दिया था ।

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विक्रम बत्रा की लव स्‍टोरी
विक्रम बत्रा की शहादत के बाद उनकी प्रेम कहानी भी चर्चा में रहीं । विक्रम बत्रा एक लड़की से प्यार करते थे । बताया जाता है कि दोनों की मुलाकात 1995 में पंजाब यूनिवर्सिटी हुई थी । यहां से वो अंग्रेजी से MA की पढ़ाई कर रहे थे । दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हुई और फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई । उनकी प्रेमिका ने उनके साथ बिताए समय को याद करते हुए कहा था कि – “वो लौटा नहीं और जिंदगी भर के लिए मुझे यादें दे गया” । उन्होंने बाद में एक इंटरव्‍यू में कहा था – “विक्रम हमेशा मुझसे शादी के लिए कहते थे । साथ ही कहते थे जिसे तुम पसंद करती हो उसका ध्यान रखो”।

परमवीर चक्र से किया सम्‍मानित
शहीद कैप्‍टन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था । यह सम्मान उन्हें 1999 में मरणोपरांत मिला । विक्रम बत्रा सिर्फ  25 साल के थे, जब उन्होंने देश की खातिर अपनी जान न्योछावार कर दी । विक्रम बत्रा का जन्‍म हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में 9 सितंबर 1974 को हुआ था । 19 जून, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा की लीडरशिप में इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से कारगिल के प्वांइट 5140 चोटी छीन ली थी । एक एक बहुत ही अहम जीत थी । करगिल की चोटियां आज भी विक्रम बत्रा की शहादत से गूंज रही हैं ।