सावन: बन रहा है दुर्लभ चतुर्ग्रही वक्री योग, राहु-केतु के साथ शनि और गुरु भी चल रहे उल्टी चाल
सावन का महीना शुरु हो गया है, अैर इस बार पावन महीने में एक दुर्लभ योग बन रहा है । इस योग के क्या लाभ होंगे आगे पढ़ें, विस्तार से ।
New Delhi, Jul 10: इस बार सावन महीने में चतुग्रर्ही वक्री योग बन रहा है। यानी इस माह में चार ग्रह वक्री रहेंगे, जो हैं गुरु, शनि, राहु और केतु । ये चारों ग्रह एक साथ वक्री रहेंगे । इस बार सोमवार से शुरू और सोमवार को ही सावन खत्म होने से इस मास का महत्व और अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार राहु-केतु तो वक्री रहते ही हैं, लेकिन उन्हीं के साथ इस बार गुरु और शनि भी वक्री हो गए हैं, सावन में यह दुर्लभ योग देखने को मिल रहा है।
इन राशियों में वक्री हैं चतुर्ग्रह
ज्योतिष जानकारों के अनुसार गुरु स्वयं की राशि धनु में वक्री हैं, शनि अपनी राशि मकर में वक्री हैं, राहु मिथुन में और केतु धनु राशि में वक्री हो गए हैं । इस सावन माह में कामिका एकादशी 16 को पड़ रही है । हरियाली अमावस्या 20 को, हरियाली तीज 23 को, विनायकी चतुर्थी व्रत 24 को, नाग पंचमी 25 को, और पुत्रदा एकादशी 30 को पड़ रही है । जबकि रक्षा बंधन का पर्व 3 अगस्त को मनाया जाएगा।
इस प्रकार करें विशेष पूजा
सावन महीने के उपरोक्त बताए गए सभी दिन बहुत ही शुभ माने जाते हैं । जिसमें तीज पर देवी पार्वती की पूजा होनी चाहिए । चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की, पंचमी पर नागदेवता को पेजा जाना चाहिए तो वहीं एकादशी पर विष्णुजी की आरोधना करनी चाहिए । सभी राशियों के जातकों को अमावस्या पर पितर देवता और पूर्णिमा पर चंद्रदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए।
शिवजी को चढ़ाएं ये वस्तुएं
क्या आप जानते हैं सावन के मास में शिवजी को शीतल वस्तुएं क्यों अर्पित की जाती हैं, हम आपको बताते हैं । दरअसल शिवजी ने विषपान किया था, अमृत मंथन से निकले हलाहल को पी गए थे भोलेनाथ, जिसके कारण उन्हें बहुत ज्यादा तपन होती है । इसलिए शिवजी शीतलता देने वाली चीजों को पसंद करते हैं। उन्होंने चंद्रमा को मस्तक पर धारण किया है। सावन में शिव को चंदन, बिल्व पत्र, जलाभिषेक, दूध, दही, घी, शहद ऐ सभी ठंडक देने वाली चीजें इसी वजह से अर्पित की जाती है ।
मंदिर नहीं इस बार घर पर रहकर करें शिवजी की पूजा
कोरोना वायरस के कारण आपको लग रहा होगा कि इस बार मंदिर कैसे जाना होगा, तो ये मन में मान कर चलें कि ईश्वर हर जगह हैं । इस बार बाहर जाना संभव नहीं है इसलिए अपने घर में ही शिवलिंग का अभिषेक और पूज न कर सकते हैं। जिस के घर पर शिवलिंग न हो, वह आंगन में लगे किसी पौधे को ही शिवलिंग मानकर या फिर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं। ये पूजा बहुत शुभ फल देने वाली मानी जाती है। ऐसे शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है ।