“मुझे पुलिस से कोई इंसाफ नहीं चाहिए, इंसाफ मेरी बेटी को चाहिए”

वह तो अमेरिका जाने से पहले अपने मामा और ननिहाल वालों से मिलना चाहती थी। उसने बुलंदशहर से ही अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की थी।

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New Delhi, Aug 11: ग्रेटर नोएडा की सुदीक्षा भाटी ने अपनी मेहनत के बलबूते पर अमेरिका में पढ़ाई करने की कामयाबी हासिल की थी। हालांकि, उसके लिए यह आसान नहीं था। पिता चाय बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। सोमवार दोपहर मामा के घर जाते वक्त बुलंदशहर के रास्ते में शोहदे की छेड़खानी ने उसकी जान ले ली। सुदीक्षा बाइक सवार मनचले से बचकर आगे बढ़ रही थी, तभी बैलेंस बिगड़ने से सड़क पर गिरी और उसकी मौत हो गई।

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होनहार बेटी को खोने के गम से पूरा परिवार टूट गया है। पिता जितेंद्र भाटी चाय का ढाबा चलाते हैं। उन्होंने कहा कि आज फिर एक तारा टूट गया। मुझे पुलिस से कोई इंसाफ नहीं चाहिए। इंसाफ मेरी बेटी को चाहिए। उसका कोई दोष नहीं था। वह तो अमेरिका जाने से पहले अपने मामा और ननिहाल वालों से मिलना चाहती थी। उसने बुलंदशहर से ही अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की थी।

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पिता बताते हैं कि सुदीक्षा का सिलेक्शन 2011 में विद्या ज्ञान लीडरशिप एकेडमी स्कूल में हुआ था। वहीं से उसकी जिंदगी में बदलाव आया। 2018 की सीबीएसई परीक्षा में 98% अंक हासिल कर बुलंदशहर जिले में टॉप किया था।
अगस्त 2018 में वह अमेरिका गई थी। वह अमेरिका के बॉब्सन कॉलेज में बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स कर रही थी। उसे एचसीएल की तरफ से पिछले साल 3.80 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिली थी। सुदीक्षा जून में भारत लौटी थी और उसे 20 अगस्त को अमेरिका लौटना था। सुदीक्षा अमेरिका में बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स कर रही थीं। छेड़खानी कर रहा था शोहदा, बचने के चक्कर में बाइक से गिरी
सुदीक्षा अपने भाई निगम के साथ बाइक पर मामा के घर माधवगढ़ जा रही थी। बुलंदशहर-गढ़ हाइवे पर एक बुलेट सवार बार-बार ओवरटेक करके छेड़खानी की कोशिश कर रहा था। सुदीक्षा के परिजन का आरोप है कि चरौरा मुस्तफाबाद गांव के मोड़ के पास बुलेट सवार ने स्कूटी के सामने आकर अचानक ब्रेक मारा। इससे निगम ने स्कूटी पर कंट्रोल खो दिया। निगम और सुदीक्षा दोनों नीचे गिरे। सुदीक्षा की मौत हो गई। भाई अस्पताल में है।

यह राज्य की नाकामी है कि हम अपनी प्रतिभाओं को देश में सुरक्षा का भरोसा नहीं दे पाते .
दुखद है कि उत्तर प्रदेश पुलिस का सारा सिस्टम केवल अपने राजनितिक आकाओं को खुश करने के लिए फर्जी कार्यवाही और मुठभेड़ में लगा है . पन्द्रह दिन में तीन मामले सामने आ चुके हैं जिसमें ह्त्या जैसे मामलों में पुलिस की झूठी कहानियों की पोल खुली और निर्दोष लोग जेल से बाहर आये .
सुदीक्षा की ह्त्या दुखद है और हिन्दू हित और गर्व की बात अकरने वाले सोचें कि वे किस हिन्दू-हित के नारे उछालते हैं ? भगवान् मंदिर में नहीं , इंसान के सद्कार्य में हैं .
(वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)