सही पैथलॉजिकल जांच के बिना प्रधान मंत्री के नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की सफलता में संदेह

मेरी आशंका है कि उनमें से जिन लोगों ने अपने जीवन काल में किडनी की जांच कराई होगी,उनमें अनेक लोगों की सही जांच नहीं हुई होगी।

New Delhi, Aug 15: नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरूआत करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया है कि इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति आएगी। मुझे भी लग रहा है कि सचमुच यह एक युगांतरकारी कदम है। पर, इसके साथ एक और संबंधित कदम सरकार को उठना पड़ेगा।वह भी अत्यंत सख्त कदम !तभी क्रांति आएगी।

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देश के निजी और सरकारी पैथोलाॅजी लैब की हालत सुधारे बिना हेल्थ मिशन की इच्छित सफलता संभव नहीं। इस देश -प्रदेश के उतने ही प्रतिशत लैब सही जांच करते हैं,समाज में आज जितने प्रतिशत लोग ईमानदार बचे हुए हैं। मेरी बात पर विश्वास न हो तो सरकार एक काम करे। किसी एक ही व्यक्ति के खून के नमूने दो अलग -अलग लैब में भेजे।

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बहुत संभव है कि जांच रपट एक दूसरे के विपरीत मिल जाएगी।फिर उसी व्यक्ति के खून की जांच एक ऐसे लैब में कराए जिसमें वास्तव में सही जांच होती है। उसकी रपट के बाद गैर जिम्मेदार लैब के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करे। यह प्रक्रिया पूरे देश में लंबे समय तक चले।

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हाल के वर्षों में इस देश-प्रदेश के अनेक नामी लोगों की किडनी की बीमारी से मृत्यु हो गई। मेरी आशंका है कि उनमें से जिन लोगों ने अपने जीवन काल में किडनी की जांच कराई होगी,उनमें अनेक लोगों की सही जांच नहीं हुई होगी।उन्हें लगातार गलत रपट मिल रही होगी। यह बहुत संभव है। एक तो अधिकतर लोग अपनी पैथोलाॅजिकल जांच को लेकर अनिच्छुक रहते हैं जब तक कि उनमें रोग के लक्षण प्रकट नहीं होने लगे। जब जांच कराते भी हैं तो लगातार किसी एक ही लैब में ।वैसे सारे लैब गलत नहीं होते। पर आप जहां रेगुलर जांच करवा रहे हैं,उसकी क्या गारंटी है कि वह सही है ?
इसलिए एक और लैब से जांच करा लिया कीजिए।
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)