8 किलोमीटर पैदल पढ़ाने जाती थी प्राइमरी स्कूल टीचर, अब बन गई हैं IAS अफसर
देश में आज टीचर्स डे मनाया जा रहा है, आइए एक ऐसी शिक्षिका के बारे में जानते हैं जिन्होंने कड़ी मेहनत के साथ प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की और प्रेरणा बनीं ।
New Delhi, Sep 05: सीरत फातिमा, जी हां यही नाम है इस आईएएस अधिकारी का, जो कि पहले एक प्राइमरी स्कूल की टीचर थीं और अब एक आईएस अधिकारी बन चुकी हैं । सीरत ने स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ अपनी मेहनत से यूपीएससी परीक्षा पास की थी । आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि जब सीरत स्कूल में पढ़ाती थीं तो रोजाना 8 किमी. का सफर पैदल किया करती थीं । उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद यानी कि अब के प्रयागराज की रहने वाली सीरत कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं ।
सीरत की रही 810वीं रैंक
साल 2017 के नतीजों में 990 उम्मीदवारों में से सीरत फातिमा 810वें स्थान पर रहीं । वर्तमान में वो इंडियन एंड ट्रैफिक सर्विस में तैनात हैं । सीरत इलाहाबाद में करेली इलाके की रहने वाली हैं । सीरत के पिता अब्दुल गनी सिद्दीकी एक सरकारी दफ्तर में अकाउंटेंट के रूप में काम करते हैं । सीरत के अफसर बनने का सपना उनके पिता ने तब देख लिया था जब वो 4 साल की थीं । अपनी बड़ी बेटी को वो अधिकारी बनते हुए देखना चाहते थे । साल 2017 में जब परीक्षा के परिणाम आए तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । बेटी की सफलता ने उन्हें जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दे दी ।
पिता का संघर्ष
सीरत फातिमा की सफलता के पीछे पिता की मेहनत का बहुत बड़ा हाथ है, अपनी बेटी को यूपीएससी की तैयारी करवाने के लिए उन्होंने क्या कुछ नहीं किया । आर्थिक तंगी के बावजूद सीरत को सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला दिलवाया । पिता के पास उस समय घर चलाने तक के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे । सीरत ने यहां से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद फातिमा ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से B.Sc.और B.Ed की डिग्री ली ।
स्कूल में पढ़ाना शुरू किया
सीरत ने इसके बाद एक प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाना भी शुरू कर दिया, घर से 38 किमी. रोज आना जाना, मुश्किल था लेकिन घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी । सीरत ने इस बारे में बताया था कि – “मैंने एक शिक्षक के रूप में काम करना शुरू कर दिया क्योंकि मेरे पिता के वेतन से घर का खर्चा चलना मुश्किल हो रहा था।’ सीतरत ने बताया कि स्कूल घर से 38 किलोमीटर दूर था, 30 किलोमीटर बस से उसके बाद वह 8 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचतीं ।
बचे हुए समय में की तैयारी
सीरत को बहुत कम समय मिल पाता था तैयारी के लिए, यही वजह रही कि 3 बार कोशिश करने के बाद उन्हें UPSC की परीक्षा में सफलता मिली । लगातार असफलता ने उन्हें परेशान किया लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया । हालांकि घरवाले अब उनकी शादी करवाने को दबाव बनाने लगे, सीरत को मन मारकर शादी के लिए हां कहना पड़ा । शादी के बाद मुश्किलें और बढ़ गईं, लेकिन फिल्म दशरथ मांझी ने उनको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया । साल 2016 में सिर्फ छह नंबरों से वो रह गईं । लेकिन अगले साल सीरत ने मेन्स निकाल लिया । पिता का सपना आखिरकार पूरा हो ही गया ।