28 नवंबर को है बैकुंठ चतुर्दशी, भगवान शिव से है एक खास संबंध, जानें शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व

आने वाली 28 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी है, इस दिन का बहुत ही महत्‍व है । विषणु पूजा के साथ ये दिन भगवान शिव से भी संबंधित है । आगे पढ़ें, इस दिन का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व ।

New Delhi, Nov 26: हिन्दू पंचांग के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है । मान्यता है कि जो भी भकत जन इस दिन भगवान विष्णु जी की सच्‍चे मन से पूजा करते है और व्रत आदि रखते हैं, उन्हें बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है । इस बार बैकुंठ चतुर्दशी कब है, क्‍या इसकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा, आगे जानें ।

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शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी इस बार 28 नवंबर vishnu (2) यानी कि शनिवार को है । चतुर्दशी तिथि का आरंभ – 28 नवंबर को प्रातः 10 बजकर 22 मिनट पर होगा, चतुर्दशी तिथि का समापन – 29 नवंबर को दोपहर बाद होगा । बैकुंठ चतुर्दशी का निशिथ काल – रात 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक है । निशिथ काल की कुल अवधि 55 मिनट तक रहेगी ।

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बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा विधि
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन व्रत – पूजा करने वाले जातक विष्‍णु पूजा का संकल्‍प करते हैं । प्रातःकाल में नित्यकर्म स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर विष्णु भगवान का पूजन करके व्रत का संकल्प लें । संध्‍या काल में 108 कमल पुष्पों के साथ विष्णु भगवान का पूजन करें । इसी के साथ, शिव भगवान का भी विधि-विधान से पूजन करना आवश्‍यक है । प्रातः काल भगवान शिव का पूजन कर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें ।

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क्‍या है महत्‍व ?
बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि व्‍यक्ति को इस ये व्रत करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है । इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है । मान्‍यता है कि इस दिन भगवान शिव और विष्णु भगवान की पूजा करने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं । शास्‍त्रों – पुराणों में कहा गया है कि इसी दिन भगवान शिव ने विष्णु भगवान को सुदर्शन चक्र दिया था । ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन जिस व्यक्ति का देहावसान होता है उसे सीधे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है ।