लव स्टोरी- बिहार के नेता की बेटी से अखिलेश की शादी कराना चाहते अमर सिंह, पिता मुलायम थे नाराज!

अखिलेश और डिंपल के बीच जमीन-आसमान का अंतर था, दोनों अलग जातियों से ताल्लुक रखती थी, एक यादव और दूसरा ठाकुर।

New Delhi, Jan 21 : ये साल था 1995, लखनऊ के कैंट इलाके में एक अनौपचारिक पार्टी चल रही थी, लोग बातों में मशगूल थे, हंसी-ठहाकों का दौर चल रहा था, इसी दौरान युवा अखिलेश यादव की नजर पहली बार डिंपल पर पड़ी, ये पहला मौका था, जब दोनों मिले थे, अखिलेश ने हाल ही में मैसूर से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की थी, जबकि 17 वर्षीय डिंपल रावत तब आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ रही थी, अखिलेश यूपी के ताकतवर राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते थे, वहीं डिंपल के पिता एससी रावत उस समय सेना में बतौर कर्नल अपनी सेवा दे रहे थे, तथा बरेली में तैनात थे।

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नजदीकियां बढी
दोनों के बीच नजदीकियां बढी, मिलने-जुलने का सिलसिला शुरु हुआ, अखिलेश-डिंपल अकसर लखनऊ कैंट के सूर्या क्लब या महमूद बाग क्लब में मिला करते थे, साल भर बाद यानी साल 1996 में अखिलेश ने एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में मास्ट्रस की पढाई के लिये सिडनी जाने का फैसला लिया, लेकिन वो वहां भी डिंपल को नहीं भूले, अखिलेश अकसर डिंपल को लेटर लिखा करते थे, कई बार लेटर के साथ ग्रीटिंग कार्ड भी भेजते थे, जब भी पढाई कर वापस लौटे तो डिंपल से शादी का फैसला लिया।

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जाति में अंतर
वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरॉन ने अखिलेश यादव की जीवनी विंड्स ऑफ चेंज में लिखती हैं, कि अखिलेश और डिंपल के बीच जमीन-आसमान का अंतर था, दोनों अलग जातियों से ताल्लुक रखती थी, एक यादव और दूसरा ठाकुर, एक और समस्या ये थी कि उस समय अलग उत्तराखंड की मांग चरम पर थी, 1994 में मुलायम सिंह के सीएम रहते मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर अलग राज्य की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था, पहाड़ से ताल्लुक रखने वाले लोग इसके लिये मुलायम को जिम्मेदार मानते थे और उनसे बेहद खफा हो गये थे।

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अखिलेश ने दादी को लिया भरोसे में
इन तनाव के बीच अखिलेश यादव ने अपने परिवार को डिंपल के साथ अपने रिलेशनशिप के बारे में बताने का फैसला लिया, अखिलेश अपनी दादी मूर्ति देवी के बेहद करीब थे, सबसे पहले उन्हें ही अपने रिश्ते के बारे में बताया, हालांकि अखिलेश को भरोसा नहीं था कि उनकी दादी इतनी जल्दी मान जाएंगी, सुनीता एरॉन लिखती हैं कि जब अखिलेश ने अपनी दादी को रिलेशनशिप के बारे में बताया और कहा कि वो डिंपल से शादी करना चाहते हैं, तो दादी ने कहा कि तुम किसी भी दूसरी जाति में शादी करो, पर करो जल्दी…

भाई को सौंपी जिम्मेदारी
धीरे-धीरे बात मुलायम सिंह यादव तक भी पहुंची, उस समय वे केन्द्रीय रक्षा मंत्री हुआ करते थे, उन्हें अखिलेश के जिद्दी स्वाभाव के बारे में अच्छे से पता था, हालांकि मुलायम के मन में तमाम तरह की आशंकाएं थी, मुलायम डिंपल के खिलाफ नहीं थे, लेकिन उन्हें अलग उत्तराखंड की मांग कर रहे लोगों का डर था कि कहीं वो हंगामा ना खड़ा कर दें, ऐसे में उन्होने अपने भाई शिवपाल यादव को जिम्मेदारी सौंपी कि वो अखिलेश को मनाएं और उन्हें सारी स्थिति से अवगत कराएं, चूंकि अखिलेश ने बचपन का काफी समय शिवपाल के साथ गुजारा था, ऐसे में मुलायम को भरोसा था कि शायद अखिलेश मान जाएं, हालांकि अखिलेश ने डिंपल से शादी का पूरा मन बना लिया था।

अमर सिंह का कुछ और प्लान
वो दौर ऐसा था कि जब अमर सिंह और मुलायम की दोस्ती की मिसालें दी जाती थी, अमर सिंह पार्टी में नंबर दो थे, और नेताजी के दाहिने हाथ कहे जाते थे, अखिलेश उन्हें अंकल कह कर बुलाया करते थे, अखिलेश के मैसूर से लेकर सिडनी तक एडमिशन तथा तमाम दूसरी चीजों का ख्याल अमर सिंह ही रखते थे, जीवनी के मुताबिक अमर सिंह अखिलेश की शादी बिहार के एक ताकतवर राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाले नेता की बेटी से कराना चाहते थे, तब मीडिया में ऐसी खबरें भी आई थी कि उस समय वो नेता अपनी बेटी के साथ लखनऊ भी पहुंच गये थे, हालांकि अखिलेश डिंपल से अपने रिश्ते को लेकर साफ थे।

अमर सिंह ने किया फाइनल
कहा जाता है कि अखिलेश के फैसले के बाद मुंलायम को मनाने में अमर सिंह की बड़ी भूमिका रही थी, इस तरह 24 नवंबर 1999 को सैफई स्थित मुलायम के पैतृक गांव में अखिलेश-डिंपल की बेहद धूमधाम से शादी हुई, शादी का तमाम अरेंजमेंट अमर सिंह ने ही किया था, शादी में किसे बुलाना है, सियासत से लेकर सिनेमा तक के मेहमानं की सूची से लेकर मेन्यू तक उन्होने ही फाइनल किया था।