अमिश देवगन ने वीर सावरकर को लेकर की ऐसी टिप्पणी, सोशल मीडिया पर हो रहे ट्रोल!

अमिश देवगन ने डिबेट के दौरान कहा, सावरकर माने त्याग-तपस्या, ना वैसा कोई हुआ है और ना ही होगा।

New Delhi, Feb 01 : कृषि कानून पर जारी सियासत के बीच पश्चिम बंगाल का राजनीतिक पारा भी चढ गया है, एक तरफ सत्तारुढ टीएमसी के दिग्गज नेता एक के बाद एक ममता बनर्जी का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, तो दूसरी ओर दीदी भी हमलावर है, बंगाल की राजनीतिक हलचल पर टीवी डिबेट में भी तीखी नोंकझोंक देखने को मिल रही है, ऐसा ही एक वाकया न्यूज 18 की एक डिबेट में देखने को मिले, इस कार्यक्रम के एंकर अमिश देवगन वीर सावरकर का नाम लेकर वाजपेयी जी की एक पंक्ति का जिक्र करने लगे।

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अमिश देवगन ने क्या कहा
अमिश देवगन ने डिबेट के दौरान कहा, सावरकर माने त्याग-तपस्या, ना वैसा कोई हुआ है और ना ही होगा, अमिश देवगन ने इसे सोशल मीडिया पर भी साझा किया है, जिसे देखकर ट्विटर पर भी लोगों ने रिएक्ट करना शुरु कर दिया है, दरअसल अमिश देवगन ने डिबेट के दौरान कहा, वीर सावरकर के बारे में तो अटल जी की कविता है, वही याद आती है कि सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तपस्या, कोल्हू के बैल की तरह वीर सावरकर को कारावास में… जिसे काला पानी की सजा भी कहते हैं, वहां पर घुमाया गया। उन्होने आगे कहा उन वीर सावरकर के लिये कहा जाता है कि उन्होने माफी मांगी, और वो देश के खिलाफ काम कर रहे थे, सावरकर जैसा ना कोई हुआ है और ना कोई हो सकता है, ना भूत में ना भविष्य में।

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लोग कर रहे कमेंट
एंकर के इस पोस्ट पर सतपाल नाम के शख्स ने कमेंट किया, मैंने सावरकर जी का इतिहास देखा, जब उन्हें अंडमान जेल में भेजा गया था, उन्होने कम से कंम 10 बार अपना माफीनामा अंग्रेजों को दिया था, अगर वो भी सच्चे देशभक्त होते, तो फिर अपना माफीनामा क्यों अंग्रेजों को देते, सीआर मलराना नाम के शख्स ने लिखा, सावरकर होना भी कौन चाहता है, हम तो भगत सिंह, आजाद, गांधी, नेहरु, अंबेडकर के पद चिन्हों पर चलना चाहते हैं।

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एंकर पर तंज
सागर नाम के शख्स ने लिखा, अरे मीडिया, तुम लोग कब बेरोजगारी, पेट्रोल, डीजल और किसानों के प्रोटेस्ट को लेकर डिबेट करना शुरु करोगे, एक अन्य शख्स ने लिखा, सारा दिन मोदी के भजन गाते हो, सारा दिन मोदी की माला जपते हो, कभी तो अपने एंकर होने का फर्ज निभा लो, संदीप सिंह नाम के यूजर ने लिखा, सही में कोई नहीं हो सकता, क्योंकि माफी मांगकर बच जाना भी एक कला है।

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