मंत्री, कलेक्टर की हत्या का लगा आरोप, जेल में लड़कियों को नचवाया, गैंगस्टर से नेता बने मुन्ना शुक्ला की पूरी कहानी!

बताया जाता है कि साल 1994 से 1998 तक मुन्ना शुक्ला ने ठेकेदारी से खूब पैसा कमाया, साथ ही बिहार के दूसरे बाहुबलियों से अदावत भी मोल ली।

New Delhi, Mar 26 : जिस तरह यूपी में खतरनाक गैंगस्टरों की कोई कमी नहीं है, उसी तरह बिहार भी खूंखार अपराधियों का गढ रहा है, कई ऐसे अपराधी हुए जिन्हें कोर्ट ने सजा दी, तो कई ऐसे भी हुए जिन पर गंभीर आरोपों के इल्जाम तो लगे, लेकिन कई मामलों में वो बेदाग होकर निकले, इन्हें बाहुबली भी कहा गया, फिर उनकी एंट्री राजनीति में हुई, जी हां, हम बात कर रहे हैं मुन्ना शुक्ला की।

Advertisement

बिहार का डॉन
मुन्ना शुक्ला को कभी उत्तर बिहार का डॉन कहा जाता था, कहा जाता है कि मुन्ना शुक्ला के बड़े भाई छोटन शुक्ला कभी अपराध जगत के चर्चित नाम थे, छोटन का आपराधिक इतिहास यूनिवर्सिटी से शुरु हुआ और बाद में ठेकेदारी से जुड़ गया, साल 1994 में उनकी हत्या हो गई थी, कहा जाता है कि भाई की हत्या के बाद मुन्ना ने अपराध की दुनिया में कदम रखा।

Advertisement

भाई की शव यात्रा
आरोप के मुताबिक मुन्ना शुक्ला ने भाई छोटन शुक्ला की शव यात्रा निकाली और विरोध-प्रदर्शन कराये, इस दौरान गोपालगंज के डीएम भीड़ शांत कराने पहुंचे थे, आरोप के मुताबिक इसी दौरान मुन्ना ने भीड़ को उकसा दिया, जिसकी वजह से गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी, ये पहला मामला था, जब मुन्ना शुक्ला का नाम किसी हत्या के केस में आया था।

Advertisement

ठेकेदारी से पैसा
बताया जाता है कि साल 1994 से 1998 तक मुन्ना शुक्ला ने ठेकेदारी से खूब पैसा कमाया, साथ ही बिहार के दूसरे बाहुबलियों से अदावत भी मोल ली, इसी दौरान मुजफ्फरपुर इलाके में बृजबिहारी ऐसे नेता थे, जो मुन्ना के बड़े भाई छोटन शुक्ला के दौर से ही बाहुबलियों के सामने चुनौती पेश कर रहे थे, 3 जून 1998 को मंत्री बृजबिहारी प्रसाद इलाज के लिये पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल में भर्ती थे।

केस से बरी
रात में अस्पताल के पार्क में टहल रहे बृजबिहारी को अपराधियों ने गोलियों से भून डाला, इस केस में राजन तिवारी और विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, सूरजभान समेत 8 लोगों को आरोपित बनाया गया, वारदात में निचली अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन फिर 25 जुलाई 2014 को मुन्ना शुक्ला, सूरजभान सिंह समेत सभी आरोपियों को पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया, इससे पहले से ही मुन्ना राजनीति में भी हाथ आजमा रहे थे, कभी वो निर्दलीय मैदान में कूदे, तो कभी जदयू के साथ रहे। मुन्ना शुक्ला पर जेल में महिला डांसरों को नचवाने का भी आरोप लगा था, कुछ दिनों तक ये खबर मीडिया में भी छायी रही थी, इसके बाद मुन्ना ने जेल से ही पीएचडी करने की भी बात कही थी, हालांकि वो विवादों में भी रहा।