जब बाबा रामदेव के पतंजलि पर सरकार ने लगाया 75 करोड़ का जुर्माना, ये थी वजह

1 साल पहले यानी 2020 में बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को जीएसटी दरों में कटौती के बावजूद इसका फायगा ग्राहकों को नहीं पहुंचाने का दोषी पाया गया था।

New Delhi, Apr 20 : योगगुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती है, कोरोना काल में इस कंपनी की चर्चा कोरोनिल दवा को लेकर हो रही है, कोरोनिल को लेकर पतंजलि जो दावे करती है, उस पर कई तरह के सवाल खड़े किये जा चुके हैं, पतंजलि के कई ऐसे भी मामले हैं, जिसमें कंपनी पर 75 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग चुका है, आइये आपको बताते हैं कि पतंजलि पर जुर्माना क्यों लगा था।

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क्या था मामला
1 साल पहले यानी 2020 में बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को जीएसटी दरों में कटौती के बावजूद इसका फायगा ग्राहकों को नहीं पहुंचाने का दोषी पाया गया था, दरअसल 2017 में केन्द्र सरकार ने जीएसटी लागू किया था, इसके बाद कई उत्पादों पर जीएसटी दरें 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दी गई थी, आरोप के अनुसार पतंजलि ने कीमतें नहीं घटाई, बल्कि वॉशिंग पाउडर का बेसिक प्राइस भी बढा दिया, इसके बाद से ही नेशनल एंटी प्रॉफिटिंग अथॉरिटी ने जुर्माना लगाया।

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नुकसान उठाना पड़ा था
हालांकि पतंजलि का कहना था कि जीएसटी लागू होने के बाद उसे नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि रेट तो बढाई गई थी, लेकिन कीमतें नहीं बढी थी, इस तर्क को एनएए ने खारिज कर दिया था, एनएए का कहना था ramdev1 कि पतंजलि की ओर से कीमतें नहीं बढाना कारोबारी फैसला था, और इसे टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने की वजह नहीं बताया जा सकता है। आपको बता दें कि योगगुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद देश में हर्बल उत्पादों के क्षेत्र में कारोबार करती है, साबुन से लेकर टूथपेस्ट तक पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे कई उत्पाद हैं, जिसकी चर्चा होती रहती है।

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कई कंपनियों पर लग चुका है जुर्माना
हालांकि पतंजलि आयुर्वेद इकलौती ऐसी कंपनी नहीं है, जिस पर इस तरह मुनाफाखोरी रोधी प्रावधानों के तहत एक्शन लिया गया है, बीते साल एचयूएल और मैगी नूडल्स बनाने वाली कंपनी नेस्ले पर भी ये आरोप लगे और जुर्माना लगाया गया, आपको बता दें कि वन नेशन, वन टैक्स जीएसटी को साल 2017 में लागू किया गया था, इसके तहत टैक्स स्लैब 5, 12, 18 और 28 फीसदी रखा गया है, अधिकतर गुड्स और सर्विसेज 5 और 12 फीसदी टैक्स स्लैब के तहत आते हैं।