प्रधानी के लिये तोड़ा बह्मचर्य, बिन मुर्हूत शादी, गांव वालों के फैसले से टूटे अरमान
45 वर्षीय हाथी सिंह को समर्थकों का सुझाव अच्छा लगा, उन्होने शादी करने की ठान ली, 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी थी, इसलिये आनन-फानन में शादी का आयोजन किया गया।
New Delhi, May 03 : यूपी पंचायत चुनाव में अजब-गजब रंग देखने को मिले हैं, आजीवन शादी नहीं करने का प्रण लेने वाले ने भी सीट आरक्षित होने पर बिना मुर्हूत शादी कर ली, नई नवेली दुल्हन को चुनावी मैदान में उतार दिया, गांव वालों ने फैसला सुनाया, तो दिल के अरमान आंसूओं में बह गये। आइये विस्तार से आपको पूरी खबर बताते हैं।
कहां का है मामला
ये मामला बलिया के विकासखंड मुरलीछपरा के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्ण छपरा के जितेन्द्र सिंह उर्फ हाथी सिंह का है, हाथी सिंह ने 2015 में प्रधानी चुनाव लड़ा, लेकिन वो 57 वोटों से हार गये, इस दौरान पूरे 5 साल तक वो लगातार समाज सेवा करते रहे। इस बार सीट महिलाओं के लिये आरक्षित कर दी गई, इस वजह से वो चुनाव मैदान में उतर नहीं पा रहे थे, तो उनके समर्थकों ने सुझाव दिया, कि क्यों ना शादी कर लें और पत्नी को चुनावी मैदान में उतार दें।
शादी करने की ठान ली
45 वर्षीय हाथी सिंह को समर्थकों का सुझाव अच्छा लगा, उन्होने शादी करने की ठान ली, 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी थी, इसलिये आनन-फानन में शादी का आयोजन किया गया, पहले बिहार के अदालत में कोर्ट मैरिज हुई, फिर 26 मार्च को गांव के धर्मनाथ जी मंदिर में शादी की, बिना मुर्हूत ही उन्होने शादी रचा ली।
पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा
शादी करते ही पत्नी निधि को चुनावी मैदान में उतार दिया, खुद प्रचार में जुटे तथा पत्नी को भी प्रचार में लगाया। मेहंदी लगे हाथों से ही निधि चुनाव प्रचार करती रहीं, लोगों ने खूब आशीर्वाद दिया, साथ ही वोट देने का भी वादा किया, लेकिन रिजल्ट आया, तो निराशा हाथ लगी, हाथी सिंह की तरह उनकी पत्नी भी चुनाव हार गई, इस बार हाथी सिंह की पत्नी को 39 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।