शरीर पर गाय का गोबर लगाने से मिलेगी कोरोना से सुरक्षा ! वायरल दावे पर जानें डॉक्टर क्‍या बोले

कोरोना से सुरक्षा के लिए किए जा रहे दावों में एक ये भी है कि शरीर पर गाय का गोबर लगाने से संक्रमण से बचाव होगा, जानें इसे लेकर डॉक्‍टर क्‍या कह रहे हैं ।

New Delhi, May 12: क्या गाय का गोबर लगाने से कोरोना से सुरक्षा मिल जाएगी ?  सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस दावे का सच क्‍या है, क्‍या वाकई ऐसा हो सकता है । अगर आप भी इस नुस्‍खे को पिछले कुछ दिनों से बहुत ज्‍यादा सुन, देख रहे हैं और सोच में हैं तो आगे पढ़ें, इस पर डॉक्टरों की प्रतिक्रिया आई है। गुजरात के डॉक्‍टरों ने तथाकथित गाय के गोबर से उपचार के खिलाफ चेतावनी दी है और बताया है कि इससे कोरोना संक्रमण से तो बचाव नहीं होगा बल्कि कइ दूसरे खतरनाक संक्रमण जरूर हो जाएंगे ।

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वायरल दावा
आपको बता दें, कुछ लोगों का एक समूह है जो कि गुजरात में ही श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठानम (एसजीवीपी) द्वारा संचालित गौशाला में उपचार ले रहा है और उनका मानना है कि गाय का गोबर शरीर में लगाने से कोविड-19 के खिलाफ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। एसजीवीपी के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस गौशाला में 200 से ज्यादा गाय हैं। बीते एक महीने से करीब 15 लोग हर रविवार यहां शरीर पर गाय के गोबर और गोमूत्र का लेप लगवाने आते हैं । जिसे बाद में गाय के दूध से धो दिया जाता है।

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डॉक्‍टरों ने क्‍या कहा
इस मामले में गांधीनगर स्थित भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉ. दिलीप मावलंकर ने मीडिया को कहा-  ‘मुझे नहीं पता कि यह उपचार क्या वास्तव में लोगों की मदद करेगा? मेरे सामने अब तक ऐसा कोई शोध नहीं आया है जिससे यह संकेत मिले कि शरीर पर गोबर लगाने से कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।’ वहीं भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की महिला शाखा की अध्यक्ष और शहर की एक वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मोना देसाई ने इस उपचार को ‘पाखंड और अप्रमाणित’ बताया। उन्होंने कहा, ‘उपयोगी साबित होने के बजाए गाय के गोबर से आपको म्यूकोरमाइकोसिस समेत दूसरे संक्रमण हो सकते हैं।’

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हर दावे को सच ना मानें ..
इंडिया स्‍पीक्‍स की भी अपने पाठकों से अपील है कि इस तरह के हर वायरल दावे को सच ना मान लें, वॉट्सएप – फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर लाइक्‍स और शेयर करने के लिए ऐसे कई भ्रामक वीडियो और तस्‍वीरें बनाकर लोगों के बीच शेयर की जा रही हैं, इन दावों का प्रयोग बिना वैज्ञानिक प्रमाणिकता के करना खतरनाक हो सकता है ।