शरीर में गिर रही है ऑक्सिजन लेकिन महसूस नहीं हो रही, जानें क्‍या है ये Happy Hypoxia स्‍टेट

इन दिनों कोरोना मरीजों में हैपी हाइपॉक्सिया की स्थिति देखने को मिल रही है, जो कि जानलेवा साबित हो रही हैं । क्‍या है ये, आगे पढ़ें ।

New Delhi, May 12: कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर युवाओं के लिए घातक साबित हो रही हैं, पिछले कुछ समय में संक्रमण की चपेट में आए कई युवाओं को अस्पतालों में दाखिल करना पड़ रहा है । ये सभी ऐसे हैं जिनमें बीमारी सामान्य से गंभीर स्तर पर पहुंच चुकी होती है । एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसा हैपी हाइपोक्सिया के कारण हो रहा है, बिहार में इसके चलते करीब 30 मरीजों की मौत हो चुकी है और हैदराबाद में भी कई केस सामने आ चुके हैं।

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क्या है हैपी हाइपोक्सिया?
डॉक्‍टरों के मुताबिक यह एक ऐसी स्थिति है जहां पर व्यक्ति के शरीर में ऑक्सिजन लेवल तो गिर रहा होता है लेकिन शरीर को इसका पता नहीं चलता । डॉक्टर्स के मुताबिक शरीर में अचानक से ऑक्सिजन की ज्यादा कमी आने पर दिक्कत होने लगती है, फेफड़े भी इसकी चपेट में आ चुके होते हैं । चूंकि युवाओं में बीमारी से लड़ने की ज्यादा शक्ति होती है, इसलिए शरीर में हो रही ऑक्सिजन की कमी जल्दी पता नहीं लग पाती। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस समय संक्रमित युवाओं को समय-समय पर ऑक्सिजन की जांच करके अपने बारे में अपडेट रहना चाहिए।

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ऑक्सिजन लेवल कितना हो ..
डॉक्‍टर्स के मुताबिक वर्तमान में संक्रमित युवाओं हैपी हाइपोक्सिया ज्यादा दिख रहा है। अमूमन 80 से नीचे ऑक्सिजन सैचुरेशन जब तक नहीं गिरता उन्हें दिक्कत महसूस नहीं होती। वहीं आमतौर पर 90 से नीचे सैचुरेशन आने पर सांस लेने में दिक्कत, छाती में परेशानी जैसी समस्या उभरने लगती है। जिसके चलते, युवा मरीजों के पास इलाज के लिए बहुत ही कम समय बच पाता है। इससे बचने का तरीका यही है कि लगाता ऑक्सिजन लेवल की जांच की जाती रहे ।

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इसी वजह से मर रहे हैं मरीज
भागलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि वहां भर्ती कई मरीज ‘हैपी हाइपोक्सिया’ से पीड़ित थे। करीब 30 फीसदी मरीजों की मौत इसकी वजह से हुई। जाहिर है ये स्‍टेट जानलेवा है, मरीज को पता ही नहीं लग रहा कि उसके शरीर में क्‍या दिक्‍कत हो रही है । संक्रमित युवा अपना ध्‍यान रखें और ऑक्सिजन के लेवल को चेक करते रहें ।