अमेरिका ने इजरायल पर लिया बड़ा फैसला, फिलिस्तीन में मचेगी और तबाही

अमेरिका इस संबंध में अपने रुख को मजबूती के साथ स्पष्ट रुप से अंतरराष्ट्रीय जगत के सामने रख सकता है, ऐसा इसलिये है, क्योंकि गाजा में जिस हमास का शासन है, वो एक प्रतिबंधित आतंकी गुट है।

New Delhi, May 19 : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल को हथियार खरीद की मंजूरी दे दी है, ये मंजूरी ऐसे समय में दी गई है, जब इजरायल और गाजा में हमास में बीच लड़ाई छिड़ी है, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इसमें अब तक दोनों ही तरफ से करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 1200 से ज्यादा लोग घायल हैं, इसकी वजह से हजारों लोगों को दूसरे सुरक्षित इलाकों में भेजा गया है, इस बीच रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में दोनों तरफ से हो रहे हमलों को तुरंत रोकने की अपील की गई है, वहीं अमेरिका पर भी दोनों के बीच सीजफायर कराने को लेकर दबाव बढता दिखाई दे रहा है, इसके बाद अमेरिका ने भी कदम आगे बढाते हुए अब सीजफायर को लेकर कवायद शुरु कर दी है, लेकिन ऐसे समय में इजरायल को दी गई हथियार खरीद की मंजूरी से एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या सीजफायर की बात करना अमेरिका का सिर्फ एक दिखावा है या कुछ और है।

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लड़ाई से पहले की मंजूरी
इस बारे में ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि जिस हथियार खरीद के सौदे को अमेरिका ने मंजूरी दी है, वो दरअसल इस लड़ाई से पहले की है, इजरायल और हमास के बीच लड़ाई शुरु होने से पहले ही इस सौदे को मंजूरी के लिये सीनेट में पेश किया गया था, इस पर अब राष्ट्रपति बाइडन ने अंतिम मुहर लगा दी है, उनके अनुसार मौजूदा तनाव का इससे कोई लेना-देना नहीं है, ये पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका का ये दोगला रुप तो नहीं है, उनका कहना था कि अमेरिका की स्थिति इस वक्त बेहद साफ है, अमेरिका के ऊपर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं है।

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प्रतिबंधित आतंकी गुट
अमेरिका इस संबंध में अपने रुख को मजबूती के साथ स्पष्ट रुप से अंतरराष्ट्रीय जगत के सामने रख सकता है, ऐसा इसलिये है, क्योंकि गाजा में जिस हमास का शासन है, वो एक प्रतिबंधित आतंकी गुट है, जिसका फिलिस्तीन सरकार से भी छत्तीस का आंकड़ा है, ऐसे में उसके लिये अंतरराष्ट्रीय जगत को ये बताना काफी आसान है, कि वो एक आतंकी गुट के खिलाफ इजरायल को अपना समर्थन दे रहा है, क्योंकि इस आतंकी गुट ने एक देश पर हमला किया है, जहां तक सीजफायर की बात है, प्रोफेसर पंत मानते हैं कि इसमें एक सप्ताह का समय लग सकता है, उनके अनुसार सीजफायर से पहले अमेरिका और इजरायल दोनों ही इस बात से आश्वस्त होना चाहते हैं, कि हमास भविष्य में फिर दोबारा इस तरह के हमले की गलती दोहरा ना सके।

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ईरान का हाथ
वो ये भी मानते हैं कि हमास ने जिस स्तर के हमले इजरायल में किये हैं, उससे ये बात बेहद साफ हो गई है कि इसमें ईरान का हाथ है, वहां से उसको हथियारों की खेप मिल रही है, इजरायल समय रहते हमास के बड़े नेताओं को मारकर दो तरह से अपनी मजबूती को साबित करने की कोशिश में लगा है, इसमें पहली ये है कि इजरायल में राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू का इस कार्रवाई के बाद समर्थन बढ गया है, जो उनको आने वाले दिनों में राजनीतिक तौर पर फायदा करेगा, दूसरा इस कार्रवाई से फिलिस्तीन पर भी असर जरुर पड़ेगा, वहीं फिलिस्तीन की बात करें, तो वहां की चुनी हुई सरकार भी हमास को पसंद नहीं करती है, हाल ही में गाजा में होने वाले चुनावों को फिलिस्तीन की सरकार ने आगे के लिये टाल दिया था, इसकी वजह कहीं ना कहीं हमास की चुनावों में जीत की आशंका थी।