जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात से बढेगी नीतीश कुमार की टेंशन, जानिये Inside Story
जीतन राम मांझी की पार्टी बिहार सरकार में शामिल है, ऐसे में राजनीतिक तौर पर उनकी बयानबाजी ने स्पष्ट कर दिया था, कि वो पंचायत चुनाव के मामले में माइलेज लेना चाहते हैं।
New Delhi, May 30 : कोरोना काल में नेताओं ने भी आपस में सामाजिक दूरी बनाकर रखी है, इस वजह से राजनीतिक गतिविधियां लगभग ठप्प है, ऐसे में शनिवार को बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और वीआईपी सुप्रीमो तथा बिहार सरकार के मंत्री मुकेश सहनी के बीच हुई मुलाकात ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है, दरअसल मांझी ने शुक्रवार को ट्वीट कर सीएम नीतीश कुमार से पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 6 महीने तक बढाने की मांग की थी, पूर्व सीएम ने देश में आपातकाल के दौरान लोकसभा की अवधि बढाये जाने का हवाला दिया था।
सत्ता में शामिल
आपको बता दें कि जीतन राम मांझी की पार्टी बिहार सरकार में शामिल है, ऐसे में राजनीतिक तौर पर उनकी बयानबाजी ने स्पष्ट कर दिया था, कि वो पंचायत चुनाव के मामले में माइलेज लेना चाहते हैं, अगर सरकार उनकी मांग मान ले, तो भी या अस्वीकार कर दे तो भी, पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढाये जाने की मांग के दूसरे दिन मांझी ने अपने आवास पर बिहार सरकार के मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी से मुलाकात की, मांझी ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि मुकेश सहनी से पंचायत चुनाव के अलावा विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार विमर्श हुआ।
सीएम की तारीफ तो की लेकिन
मुकेश सहनी से मुलाकात के कुछ देर बाद जीतन राम मांझी ने एक और ट्वीट कर कोरोना के मामले में सरकार की खिंचाई कर दी, उन्होने सीएम नीतीश कुमार को कोरोना संक्रमण के घटती दर के लिये धन्यवाद तो दिया लेकिन इसकी मूल वजह लॉकडाउन को बता दिया।
एक और ट्वीट
उन्होने एक अन्य ट्वीट में प्रदेश के उप स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत को खस्ताहाल बताते हुए व्यवस्था को दुरुस्त करने का अनुरोध भी नीतीश कुमार से किया, एक तरह सहनी से मुलाकात और दूसरी तरफ मांझी के ट्विटर पॉलिटिक्स से राजनीतिक विश्लेषकों के बीच कयासों का दौर भी शुरु हो गया है, बिहार विधान परिषद के लिये पिछले दिनों हुए मनोनयन को लेकर मांझी और सहनी दोनों की मांग अस्वीकार किये जाने के बाद दर्द उभरकर सामने आया था, दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी के लिये कम से कम एक सीट पर दावेदारी ठोकी थी, लेकिन उनकी ये दावेदारी सफल नहीं हो पाई थी, लिहाजा दो छोटी पार्टियों के प्रमुख की आपस में मुलाकात ने कयासों को एक बार फिर से बल दे दिया है।