क्या है पंजाब कांग्रेस में विवाद, क्यों अमरिंदर पर हमलावर रहते हैं सिद्धू? ये है इनसाइड स्टोरी
पंजाब कांग्रेस में मचा घमासान आखिर सुलझने का नाम क्यों नहीं ले रहा है, CM अमरिंदर और सिद्धू के बीच आखिर क्या विवाद है, पढ़ें इस उथल-पुथल की हर खबर ।
New Delhi, Jun 05: पंजाब कांग्रेस का विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है, उल्टा ये विवाद इन दिनों जैसे किसी सियासी संग्राम में तब्दील हो गया । पक्ष-विपक्ष नहीं यहां तो एक ही पार्टी के दो नेता एक दूसरे के आमने-सामने हैं । मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच का तनाव आलाकमान से भी नहीं सुलझ रहा है । इस पूरे मामले में अमरिंदर, शुक्रवार, 4 जून को दिल्ली में तीन सदस्यीय समिति के सामने पेश हुए । बागी नेता और राज्य के अन्य विधायक, सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पहले ही कमेटी से मुलाकात कर चुके हैं ।
100 से ज्यादा नेताओं से मिले हैं खड़गे
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली कांग्रेस की इस समिति ने पिछले चार दिनों में पंजाब से ताल्लुक रखने वाले 100 से ज्यादा नेताओं से उनकी राय ली है । इनमें ज्यादातर विधायक ही हैं । इस समिति में खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल शामिल हैं, ये कमेटी अब जल्द ही कांग्रेस आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी ।
आखिर क्या है पंजाब कांग्रेस का विवाद
दरअसल हाल कुछ ये है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ पार्टी के ही आधे से ज्यादा विधायक बागी रुख अपना चुके हैं, और इन सबमें मुखर हैं पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू । सिद्धू पिछले कुछ हफ्ते से लगातार सीएम पर हमलावर हैं, सोशल मीडिया पर ताबड़तोड़ वार कर रहे हैं । सिद्धू ने 2015 के बेअदबी कांड पर सरकार के रुख और 2017 की चुनावी घोषणाओं को लागू न करने का आरोप लगा कर सीएम पर जमकर हमला बोला है । इतना ही नहीं, सिद्धू ने सीएम पर बादल परिवार के लिए भी काम करने के आरोप लगाया है । खास बात ये कि पार्टी आलाकमान का रुख सिद्धू के प्रति नरम है, यही वजह है कि वो खुलकर सीएम पर हमलावर बने हुए हैं ।
सीएम अमरिंदर क्यों निशाने पर?
नवजोत सिंह सिद्धू करीब साल भर से भी ज्यादा समय से कैप्टन से नाराज चल रहे हैं । साल 2019 के संसदीय चुनावों में राज्य के शहरी क्षेत्रों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने और फिर उन्हें राज्य सरकार में प्रमुख विभागों से हटाए जाने के कारण सिद्धू ने कैप्टन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था । इतना ही नहीं सिद्धू तब लगातार सोनिया दरबार भी जाते रहे । पिछले महीने ही बेअदबी कांड की जांच की निगरानी में विफल रहने पर सिद्धू ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री की खूब आलोचना की । इस मुहिम को पार्टी के भीतर ही कई लोगों से समर्थन भी मिला । हालांकि सिद्धू का ये दांव उल्टा पड़ा और कैप्टन समर्थक आधा दर्जन मंत्री सिद्धू के खिलाफ हो गए ।
लगातार हमलावर
इसके बाद तो सिद्धू ने अमरिंदर सिंह पर हमले और तेज कर दिए । कभी कोटकपुरा कांड का वीडियो तो कभी पुराने भाषणों की क्लिपिंग । खास बात ये कि दोनों नेताओं के बीच चल रही इस खींचतान पर आलाकमान ने जैसे चुप्पी साध ली है । वहीं, सीएम ने भी टीवी इंटरव्यू में सीधे-सीधे आरोप लगा दिया कि अगले साल विधान सभा चुनाव को देखते हुए सिद्धू आम आदमी पार्टी के साथ जाना चाहते हैं, उनकी बात अरविंद केजरीवाल से चल रही है ।
क्या चाहते हैं सिद्धू?
अंदरखाने में ये खबर भी है कि पार्टी नेतृत्व विधान सभा चुनाव से पहले नवजोत सिंह सिद्धू को इस पर काबिज करना चाहता है लेकिन अमरिंदर सिंह इसका विरोध कर रहे हैं । वो इस पद पर दलित वर्ग से या हिन्दू समुदाय के व्यक्ति को बैठाना चाहते हैं । फिल्हाल, सुनील जाखड़ पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं । खबर तो यहां तक है कि विधान सभा चुनावों से पहले सिद्धू को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी चर्चा है, ताकि उनकी लोकप्रियता का फायदा चुनावों में पार्टी को मिल सके । सिद्धू के साथ पार्टी के कई कांग्रेस नेता बताए जा रहे हैं । माना जा रहा है कि पार्टी के 77 विधायकों में से 47 विधायक सिद्धू के साथ हैं, और ये सभी बड़े नाम हैं ।