विदेश में कर रहे थे बिजनेस, मोदी की ‘पुकार’ सुन देश लौटे, चुनाव लड़ा और रच दिया इतिहास
गौरव मूल रुप से मेरठ जिले के निवासी हैं, करीब एक दशक से जर्मनी में रहकर बिजनेस कर रहे थे, अचानक उन्होने फैसला लिया, कि मेरठ आकर कुछ किया जाए।
New Delhi, Jun 28 : शाहरुख खान की फिल्म स्वदेश तो आपको याद ही होगी, जिसमें अपने वतन की मिट्टी, नासा में प्रोजेक्ट मैनेजर एनआरआई मोहन भार्गव को अपनी ओर खींच लाती है, कुछ ऐसी ही कहानी निर्विरोध चुने गये जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी कुसैड़ी की है, आइये इनके बारे में हम आपको बताते हैं।
जर्मनी में रहकर बिजनेस
गौरव मूल रुप से मेरठ जिले के निवासी हैं, करीब एक दशक से जर्मनी में रहकर बिजनेस कर रहे थे, अचानक उन्होने फैसला लिया, कि मेरठ आकर कुछ किया जाए, पंचायत चुनाव से ठीक पहले वो देश लौटे, गांव में लोगों की मदद शुरु की, उसके बाद जिला पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला लिया, वार्ड 18 से चुनाव की तैयारी शुरु की, बीजेपी से टिकट का दावा ठोंका, तो कुछ स्थानीय नेताओं ने विरोध भी किया, बावजूद इसके बीजेपी में एंट्री के साथ टिकट भी मिल गया, उन्होने फैसला लिया, कि अब वो जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव जीतकर लोगों की सेवा करेंगे। गौरव ने कहा कि जो सुख अपनी माटी में है, वो विदेश में नहीं है, उनका जर्मनी में अच्छा बिजनेस है, बावजूद इसके वो जिला पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं, चुनाव जीतकर वो जिला पंचायत सदस्य भी बन गये।
पीएम मोदी को मानते हैं आदर्श
बिजनेसमैन से जिला पंचायत अध्यक्ष बने गौरव चौधरी पीएम मोदी को अपना आदर्श मानते हैं, 33 साल के गौरव का कहना है कि पीएम मोदी ने भारत की छवि समूचे विश्व में बदलकर रख दिया है, विदेशों में भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है, गौरव का फैमिली बैकग्राउंड हाई प्रोफाइल होने की वजह से उनके चुनाव लड़ने की खबर इलाके में चर्चा का विषय बनी रही, गौरव की पढाई-लिखाई कुरुक्षेत्र से हुई है, वो बिजनेस मैनेजमेंट की पढाई के बाद जर्मनी चले गये, वहीं पर इंपोर्ट, एक्सपोर्ट और कंस्ट्रक्शन का काम शुरु किया, उनके देश लौटने को सभी अपने-अपने नजरिये से देखते हैं।
गांव को नहीं भूले
गौरव का कहना है कि वो भले जर्मनी चले गये हों, लेकिन गांव की मिट्टी को कभी नहीं भूले, साल में दो बार गांव जरुर आते थे, गांव में कई साल से अपने दादा चौधरी भीम सिंह मेमोरियल ट्रस्ट नाम से संस्था चला रहे हैं, ट्रस्ट के माध्यम से जरुरतमंद बच्चों की मदद करते हैं, जर्मनी में रहते हुए अपने गांव समाज के लिये कुछ करना चाहते हैं, इसी जज्बे ने उन्हें जिला पंचायत का सदस्य बनाया।