बिना युद्ध सिर्फ 500 हाथी से जीत लिया था अफगानिस्तान, बिहार के इस राजा ने नहीं किया था खून-खराबा
इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो उसमें भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों की लंबी दास्तान देखने को मिलेगी । देश में एक ऐसे प्रतापी राजा भी हुए जिन्होंने बिना युद्ध के अफगानिस्तान की सीमा को भारत का हिस्सा बनाया था।
New Delhi, Aug 19: अनफगानिस्तान के वर्तमान हालात पर सब हैरान हैं, एक पूरा देश आतंकी संगठन के हाथों में चला गया और पूरी दुनिया कुछ नहीं कर पाई । अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ही वहां के हालात की पल-पल की खबर मीडिया के माध्यम से देखी जा रही है, हर देश तालिबान की इस हरकत को अपने-अपने चश्मे से देख रहा है लेकिन अब तक किसी ने शांति बहाली की ओर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है । अफगानिस्तान की आम जनता बेहाल है, महिलाओं-बच्चियों का सबसे बुरा हाल है। इस संकट की घड़ी में भारतीय इतिहास के कुछ पन्ने पलटें तो एक ऐसी घटना के बारे में भी चर्चा हो रही है जब बिहार के एक शासक ने बिना युद्ध के सिर्फ कूटनीति का प्रयोग कर अफगानिस्तान को भारत की सीमा में मिला लिया था।
महाप्रतापी सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के शौर्य की कहानी
इतिहासकों के अनुसार प्राचीन काल में शोर्तुगई ट्रेड कॉलोनी में आमू दरिया थी। उत्तरी अफगानिस्तान के इस इलाके में यहां पुरातात्विक सिंधु कॉलोनी हुआ करती थी जिसका इस्तेमाल व्यापार के लिए किया जाता था। जस्टिन और ग्रीक-रोमन इतिहासकार प्लूटार्क महान भारतीय शासक चंद्रगुप्त मौर्य और अलेक्जेंडर यानी सिंकदर के बीच रिश्ते का जिक्र करते हैं । अलेक्जेंडर के सेनापति सेल्युकस ने एक बार मौजूदा अफगानिस्तान यानी तब के कंधार को जीत लिया था और पश्चिमी भारत के सरहद पर हलचल तेज कर दी थी ।
चंद्रगुप्त मौर्य ने की सुरक्षा
सेल्युकस की ये हरकत भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती थी, ऐसे में चंद्रगुप्त मौर्य भी सरहद की सुरक्षा के लिए वहां जा पहुंचे और दोनों में जंग छिड़ गई। तब यह युद्ध एक संधि के साथ खत्म हुआ था । इस संधि के तहत 305 ईसा पूर्व में सेल्युकस ने चंद्रगुप्त मौर्य को अफगानिस्तान सौंप दिया था। सबसे दिलचस्प बात यह कि इस जंग के बाद मौर्य साम्राज्य और प्राचीन ग्रीक साम्राज्य के बीच कूटनीतिक रिश्ते कायम हो गए।
इतिहास कारों के अनुसार ग्रीक साम्राज्य ने कंधार के अलावा अफगानिस्तान के दूसरे इलाके और भारत पर चंद्रगुप्त का आधिपत्य स्वीकार कर लिया था । इसी दोस्ती के बदले तब चंद्रगुप्त ने महावतों के साथ 500 हाथी, मुलाजिम, सामग्री और अनाज यूनान को भेजे थे ।यूनान के राजदूत मेगास्थनीज तब मौर्य के दरबार में नियुक्त हुए थे । उन्होंने चंद्रगुप्त कार्यकाल पर बहुत ही नामचीन किताब इंडिका लिखी है, जिसमें हमें उस काल की जानकारी मिलती है। कुछ लोग कहते हैं कि सेल्युकस ने अपनी बेटी हेलेन की शादी चंद्रगुप्त मौर्य से की। हालांकि इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं मिलती । चंद्रगुप्त वंश के ही महान सम्राट अशोक ने भी अफगानिस्तान पर शासन किया था और इस इलाके में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया।