तालिबान होगा चित, फिर सामने खड़ा हुआ सबसे ‘पुराना दुश्मन’, कर ली बड़ी तैयारी अब पलटेगी बाजी
बूंदक के दम पर शांति और सुरक्षा की बात करने वाले तालिबान से अभी अफगानिस्तान हारा नहीं है, अभी उससे निपटने की रणनीति तैयार हो रही है । सत्ता बदल भी सकती है ।
New Delhi, Aug 20: अफगानिस्तान में तालिबान का सबसे पुराना दुश्मन एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है । तालिबानियों की हुकूमत के खिलाफ खेमेबंदी तेज हो गई है । बताया जा रहा है कि इस आतंकी संगठन से निपटने की रणनीति तैयार करने के लिए तालिबान विरोधी ताकतें इकठ्ठी हो रही हैं, पंजशीर घाटी इनका ठिकाना बनी है । इनमें पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह एक हैं जिन्होंने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया । इसके साथ ही अफगान सरकार के वफादार सिपहसालार जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम व अता मोहम्मद नूर का नाम भी सामने आ रहा है इन सभी के साथ नॉदर्न अलायंस से जुड़े अहमद मसूद की फौजें भी तालिबान के खिलाफ एक बार फिर उठ खड़ी हुई हैं ।
अहमद मसूद का है खौफ
‘पंजशीर के शेर’ के नाम से मशहूर पूर्व अफगान नेता अहमद शाह मसूद के बेटे भी इस जंग में तालिबान के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं । मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाली फौजों यानी नॉदर्न अलायंस ने परवान प्रांत के चारिकार इलाके पर दोबारा नियंत्रण भी हासिल कर लिया है । बताया जा रहा है कि चारिकार राजधानी काबुल को उत्तरी अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ से जोड़ता है, इस तरह से उस पर जीत को बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।
पंजशीर पर अब तक कब्जा नहीं कर पाया तालिबान
खबरों के अनुसार, चारिकार पर कब्जे के लिए सालेह के सैनिकों ने पंजशीर से हमला किया था। यह अफगानिस्तान का अकेला ऐसा प्रांत है, जिस पर तालिबान अब तक कब्जा नहीं कर पाया है । विद्रोहियों ने पंजशीर में नॉदर्न अलायंस उर्फ यूनाइटेड इस्लामिक फ्रंट का झंडा भी फहरा दिया है, अब उनका इरादा पूरी पंजशीर घाटी पर कब्जा जमाने का है। नॉदर्न अलायंस को 1990 के दशक में अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए जाना जाता है। इस अलायंस से शुरुआत में सिर्फ तजाख और तालिबान विरोधी मुजाहिद्दीन ही जुड़े थे, लेकिन बाद में अन्य कबीलों के सरदार भी इसमें शामिल हो गए। अफगानिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री अहमद शाह मसूद ने नॉदर्न अलायंस का नेतृत्व किया था।
सालेह जगा रहे उम्मीद
तालिबान से मुकाबले के रणनीतिकार अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह हैं । सालेह ने अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के मुल्क छोड़कर भागने के बाद खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया, और मरते दम तक तालिबान से लड़ने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके साथ ही भरोसा दिलाया है कि वो मुल्क को कभी तालिबान के हवाले नहीं होने देंगे। यही वजह है कि नॉदर्न अलायंस एक बार फिर से तालिबान से लोहा लेने को तैयार हो गया है।