जेपी नड्डा ने पूरी की कल्याण सिंह की इच्छा, बीजेपी में वापस लौटते समय भावुकता में कही थी ऐसी बात

बीजेपी से निकाले जाने के बाद कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांत दल नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली, 2002 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ 4 सीटों पर सफलता मिली, लेकिन 70 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी को नुकसान पहुंचाया।

New Delhi, Aug 22 : यूपी में कल्याण सिंह के निजी संबंधों को लेकर पार्टी के कई नेता नाराज थे, आपसी लड़ाई तो थी ही, लेकिन वो किसी की परवाह नहीं करते थे, सबके खिलाफ ओपन रिवोल्ट कर दिया, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से रिश्ते खराब कर लिये, तो सीएम पद से हटाकर उन्हें केन्द्र में मंत्री बनाने का प्रस्ताव देने के कारण पूर्व डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी से रिश्ते खराब हो गये, यही नहीं अटल जी की सार्वजनिक आलोचना करने के बाद 1999 में बीजेपी ने उन्हें निकाल दिया था, हालांकि बीजेपी में वापसी के बाद उन्होने भावुक होते हुए कहा था कि मेरी इच्छा है कि मेरा शव भी भारतीय जनता पार्टी के झंजे में लिपटकर श्मशान भूमि की ओर जाए।

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कल्याण सिंह को मौका नहीं
वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी को नामांकन करना था, बेगम हजरत महल पार्क में कार्यक्रम था, kalyan singh atal उस कार्यक्रम में बीजेपी नेता लालजी टंडन, कलराज मिश्र, राजनाथ सिंह, तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह मौजूद थे, बाकी नेताओं का संबोधन हुआ, लेकिन कल्याण सिंह को मौका नहीं दिया गया, कल्याण को उस प्रकरण को भूलने में वक्त लगा।

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बीजेपी से अलग पार्टी
बीजेपी से निकाले जाने के बाद कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांत दल नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली, 2002 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ 4 सीटों पर सफलता मिली, लेकिन 70 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी को नुकसान पहुंचाया, उन्होने अपने पूरे प्रभाव का इस्तेमाल बीजेपी के खिलाफ किया, जिसके बाद 2003 में वो सपा सरकार में शामिल हुए, लेकिन ये दोस्ती भी ज्यादा दिन नहीं चली, 2004 में वो फिर बीजेपी में वापस आ गये, यूपी में बीजेपी को काफी नुकसान हुआ था, वो वापस पार्टी में आये, लेकिन तब तक सबकुछ बदल चुका था।

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2007 में जनता ने नहीं लगाया गले
2007 में उनको एक बार फिर सीएम पद का उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने चुनाव लड़ा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, कल्याण सिंह ने एक बार फिर अविश्वसनीय और हैरान करने वाला फैसला लिया, 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान सपा के साथ हाथ मिला लिया, सपा के सहयोग से वो लोकसभा सांसद बन गये, फिर उन्होने 2012 यूपी चुनाव में अपनी पार्टी के 200 उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली, यही नहीं अपने घर अतरौली में भी दुर्गति हो गई, यहां से इनकी बहू प्रेमलता हारी, यहीं से कल्याण 8 बार जीते थे, जबकि डिबाई से इनके बेटे राजू भैया उर्फ राजवीर सिंह भी हार गया, ना बीजेपी को फायदा हो रहा था और ना कल्याण सिंह को।

बीजेपी में वापसी
2013 में एक बार फिर कल्याण सिंह की वापसी हुई, राष्ट्रीय जन क्रांति पार्टी का बीजेपी में विलय हुआ, उनको इस बात का एहसास था कि उन्होने बीजेपी को कितना भला-बुरा कहा है, इसलिये उन्होने समय के फेर को जिम्मेदार बताते हुए भावुकता से भरा भाषण दिया था, उन्होने आरएसएस से अपने बचपने के रिश्तों की याद दिलाई और रो पड़े थे, उन्होने कहा था संघ और बीजेपी के संस्कार मेरे रक्त की बूंद-बूंद में समाये हुए हैं, इसलिये मेरी इच्छा है कि मैं जीवनभर बीजेपी में रहूं, जब जीवन का अंत हो, तो मेरा शव भी बीजेपी के झंडे में लिपटकर श्मशान भूमि की तरफ जाए, अब वो चिरनिद्रा में हैं, बीजेपी के झंडे में लिपटकर श्मशान की ओर जा रहे हैं।

ऩड्डा ने पूरी की इच्छा
बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज सुबह कल्याण सिंह की इच्छा के अनुसार बीजेपी के झंडे को उनके पार्थिव शरीर पर ओढा दिया, इस दौरान यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद थे, बीजेपी के अलावा राष्ट्रीय ध्वज भी उनके शरीर पर चढाया गया था।