अफगानिस्तान को दोबारा खड़ा करने के लिये तालिबान को चाहिये विदेशी मदद, भारत के लिये कही बड़ी बात
अगर भारत के प्रोजेक्ट की बात करें, तो अफगानिस्तान के लोगों के लिये अच्छे हैं, यहां के समाज की भलाई में उनका योगदान है, जो प्रोजेक्ट अधूरे हैं, उन्हें भी वो पूरा कर सकते हैं, लेकिन हम पुरानी सरकार का पक्ष लेने के लिये उनका विरोध करते रहे हैं।
New Delhi, Aug 26 : अफगानिस्तान में तालिबान को सरकार बनाने में देरी हो रही है, तालिबान की ओर से हाल के दिनों में बार-बार कहा जा रहा है कि वो महिलाओं के कामकाज तथा शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं, साथ ही बड़े स्तर पर सरकारी कर्मचारियों को माफी देने की घोषणा भी हुई थी, लेकिन अब देश के विभिन्न हिस्सों से मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं भी सामने आई है, अफगानिस्तान के वास्तविक हालात कैसे हैं, भविष्य कैसा होगा, इस पर तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने खुलकर बात की।
सवाल- काबुल की सत्ता पर जीत के बाद करीब एक हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन तालिबान अभी सरकार बनाने के लिये संघर्ष कर रहा है, आपके प्रतिनिधि अमरुल्लाह सालेह तक भी बातचीत के लिये पहुंचे, वर्तमान स्थितियों को आप कैसे देखते हैं।
जवाब- विचार और मंत्रणा के लिये समय लिया गया है, ये दिखाता है कि हम अफगानिस्तान के सभी नामचीन लोग, राजनीतिज्ञ को नई सरकार में शामिल करना चाहते हैं, इसी वजह से हम सभी से बातचीत पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, नहीं तो काबुल शहर में घुसने के साथ ही हमारे लिये ये आसान था, पहले ही दिन नई सरकार की घोषणा कर देते, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय हमने फैसला लिया कि अपने विरोधियों और अन्य पक्षों के साथ वृहद स्तर पर बातचीत की जाए, लेकिन हम आशा करते हैं कि नई सरकार की घोषणा जल्द ही जाएगी।
भारत के योगदान को लेकर सवाल
जवाब- अगर भारत के प्रोजेक्ट की बात करें, तो अफगानिस्तान के लोगों के लिये अच्छे हैं, यहां के समाज की भलाई में उनका योगदान है, जो प्रोजेक्ट अधूरे हैं, उन्हें भी वो पूरा कर सकते हैं, लेकिन हम पुरानी सरकार का पक्ष लेने के लिये उनका विरोध करते रहे हैं, 20 सालों में जो बात हम चाहते थे, उनमें भारत के अफगानी लोगों के साथ बेहतर संबंध शामिल है, हमारा पक्ष ये था कि एक कठपुतली सरकार को समर्थन नहीं देना चाहिये।
सवाल- आपने कहा था कि नया अफगानिस्तान पश्चिमी देशों के लोकतंत्र जैसा नहीं होगा
जवाब- स्थितियां सामान्य हो जाने तथा सरकार बन जाने के बाद हम एक कमेटी बनाएंगे जो संविधान बनाने का काम करेगी, निश्चित तौर पर इमारत का इस्तेमाल किया काम में किया जाएगा।