25 साल संन्यासी रहे, अब करेंगे शादी, शुद्धात्म सागर ने बदला विचार, भक्तों में हैरानी

24 अगस्त को शाम 7 बजे वो पटेरा मार्ग स्थित आश्रम से निकले, सीधे हिंडोरिया थाने पहुंचे, उन्होने थाने में ही वस्त्र पहनकर 25 साल का संन्यास छोड़ दिया।

New Delhi, Aug 27 : एमपी के दमोह जिला स्थित बेलाजी जैन तीर्थ क्षेत्र में रहकर चातुर्मास व्रत कर रहे मुनिश्री शुद्धात्म सागर को अब 25 का संन्यास छोड़कर गृहस्थ जीवन बसाने की इच्छा हो गई है, इसकी उन्होने घोषणा कर दी है, हालांकि इस मामले में विवाद भी शुरु हो गया है, वो दो बार दीक्षा ले चुके हैं, पिछले 25 साल से बिना वस्त्र के हैं, लेकिन अचानक उन्होने अपना मन बदल लिया और अपनी महिला मित्र प्रज्ञा दीदी से शादी करके खुद आम लोगों की तरह गृहस्थ जीवन बिताने की इच्छा जता दी, उनके इस फैसले से हर कोई हैरान है, उनके भक्त भी आश्चर्यचकित हैं।

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संन्यास छोड़ दिया
बताया जा रहा है कि 24 अगस्त को शाम 7 बजे वो पटेरा मार्ग स्थित आश्रम से निकले, सीधे हिंडोरिया थाने पहुंचे, उन्होने थाने में ही वस्त्र पहनकर 25 साल का संन्यास छोड़ दिया, marriage (2) उनके पहुंचने के कुछ घंटे बाद ही उनकी महिला मित्र भी थाने पहुंची, थाने में मुनिश्री शुद्धात्म सागर और उनकी महिला मित्र प्रज्ञा दीदी ने बेलाजी जैन तीर्थ क्षेत्र प्रबंधन पर मारपीट और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया, हालांकि इसकी रिपोर्ट दर्ज कराने से मना कर दिया।

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आश्रम से बाहर
मुनिश्री पिछले 22 जुलाई को आश्रम आये थे, यहां पर उनसे 8 दिन पहले आगरा से आई महिला मित्र प्रज्ञा दीदी से बातचीत होने लगी, दोनों के इस तरह बातचीत करने पर आश्रम के आचार्य श्री सिद्धांत सागर महाराज ने नाराजगी जताई और दोनों को बाहर जाने को कह दिया। मामले में थाना प्रभारी संदीप चौधरी ने कहा कि थाने में मुनिश्री शुद्धात्म सागर ने तीर्थ क्षेत्र प्रबंधन पर मारपीट करने तथा महिला मित्र को खाना ना देने के आरोप लगाये, पहले वो लिखित शिकायत दर्ज कराए, लेकिन बाद में वापस ले लिये, रात 11 बजे थाने में प्रज्ञा दीदी भी पहुंची, और तीर्थ क्षेत्र प्रबंधन पर मोबाइल छीनने और मंदिर से बाहर करने का आरोप लगाया।

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मोबाइल पर बातचीत
मीडिया से बात करते हुए प्रज्ञा दीदी ने कहा, हम मोबाइल पर सिर्फ बात करते थे, कुछ भी गलत संबंध नहीं बनाये, यहां भेदभाव हो रहा है, हम एक टाइम भोजन करते हैं, हमसे कहा जाता था कि पहले महाराज जी भोजन करेंगे, बाद में खाना मिलेगा, मंगलवार को खाना नहीं दिया, बीच में बड़े महाराज आये और यहां से निकलने के लिये कह दिया, हमारा बैग, पैसा और भगवान का सिंहासन भी ले लिये। दूसरी ओर मुनिश्री शुद्धात्म सागर ने कहा, मैं किसी का विरोध कर रहा हूं, लेकिन मुझे बदनाम किया जा रहा है, marraige4 मैं एक महीने पहले जुलाई में ही आश्रम आया था, हमें यहां पर गलत ढंह से देखा जा रहा है, इसलिये अब गृहस्थ जीवन ही अपनाऊंगा, प्रज्ञा दीदी के साथ गृहस्थ जीवन स्वीकार कर रहा हूं।