दो बार हारीं फिर भी BJP खेल रही है दांव, जानें कौन हैं ममता को चुनौती देने वाली प्रियंका टिबरेवाल
निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव दोनों में हारने वालीं प्रियंका टिबरेवाल को बीजेपी अब भवानीपुर में ममता के खिलाफ दावेदार बना रही है । जानें क्यों खेलना चाह रही है बीजेपी ये दांव ।
New Delhi, Sep 10: पश्चिम बंगाल में 30 सिंतबर को उपचुनाव होने हैं, भारतीय जनता पार्टी ने भवानीपुर सीट से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है । टीएमसी सुप्रीमो के खिलाफ बीजेपी एक महिला को ही मैदान में उतारा है । प्रियंका टिबरेवाल को यहां ममता को टक्कर देने के लिए उम्मीदवार बनाया गया है । कौन हैं प्रियंका, कब बीजेपी में शामिल हुई और उनका राजनीतिक करियर क्या है आगे पढ़ें ।
2014 में बनी बीजेपी का हिस्सा
प्रियंका टिबरेवाल अगस्त 2014 में भाजपा में शामिल हुईं थी। इससे पहले वो बाबुल सुप्रियो के लिए कानूनी सलाहकार के रूप में काम करती थीं । उन्हीं की मदद से उन्होंने राजनीति में कदम रखा । साल 2015 में, उन्होंने कोलकाता के नगरपालिका चुनाव में वार्ड 58 से चुनाव लड़ा, इस चुनाव में वो टीएमसी उम्मीदवार से हार गईं थीं ।
40 साल की हैं प्रियंका, बहुत पढ़ी-लिखी हैं
7 जुलाई 1981 को जन्मीं प्रियंका टिबरेवाल ने कोलकाता के वेलैंड गॉलस्मिथ स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है । उन्होंने दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई की और हजारा लॉ कॉलेज, कोलकाता विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। प्रियंका ने थाईलैंड के मान्यता विश्वविद्यालय से एचआर में एमबीए भी किया है।
विधानसभा चुनाव में भी मिली है हार
अगस्त 2020 में, प्रियंका टिबरेवाल को पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का उपाध्यक्ष बनाया गया था । इस साल की शुरुआत में, उन्होंने एंटली से राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन टीएमसी से 58,257 मतों के अंतर से हार गईं। वर्तमान में वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।
ममता के लिए बहुत स है यह उपचुनाव
भवानीपुर उपचुनाव ममता बनर्जी के लिए बहुत ही विशेष है, उनकी साख और सीएम पद पर बने रहने के लिए उनकी जीत बहुत जरूरी है । मई में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में उन्हें नंदीग्राम सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन वो सीएम बनीं रहीं, ऐसे में उनके लिए सीएम बनने के 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी है । इसलिए भवानीपुर का चुनाव ममता बनर्जी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।