30 साल बाद अचानक बहने लगा झरना, पांडवों के तप की निशानी फिर से हुई जिंदा

मान्यता के मुताबिक जब पांडवों ने इंद्रप्रस्थ शहर बयाया था, तो अरावली पर्वत पर अपनी तपस्या से अनेकों झरनों को प्रकट किया था, इन्हीं झरनों में से एक-एक अरावली पर्वतमाला से निकला हुआ मोहबताबाद गांव का झरना भी है।

New Delhi, Sep 12 : अरावली की सुंदर वादियों के बीच मोहबताबाद गांव इस समय जबरदस्त सुर्खियों में है, इसके सुर्खियों में आने की वजह यहां झरना है, जो तीस साल बाद फिर से फूट पड़ा है, इलाके में हुई अच्छी बारिश के चलते इस झरने को नई जिंदगी मिल गई है, और ये अपने पुराने स्वरुप में लौट चुका है।

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सुख गया था
झरना 30 साल पहले खनन तथा बारिश की कमी की वजह से सूख गया था, लोगों का यहां आना-जाना भी बंद हो गया था, हालांकि अब फिर से झरना गुलजार हो गया है, सैलानियों के लिये मनोरम दृश्य प्रस्तुत कर रहा है, लोगों का यहां आना-जाना पिछले 30 सालों में बेहद कम हो गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे यहां लोग आने लगे हैं।

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पांडवों के तप से प्रकट हुआ था झरना
मान्यता के मुताबिक जब पांडवों ने इंद्रप्रस्थ शहर बयाया था, तो अरावली पर्वत पर अपनी तपस्या से अनेकों झरनों को प्रकट किया था, इन्हीं झरनों में से एक-एक अरावली पर्वतमाला से निकला हुआ मोहबताबाद गांव का झरना भी है, बताते हैं कि ये जगह उदयालक मुनि की तपोभूमि भी है, यहां वो गुफा भी मौजूद है, जहां वो तपस्या किया करते थे, गुफा में विशाल शिला मौजूद है, जो बिना किसी के सहारे रुकी हुई है, लोग इस जगह पर इस गुफा की पूजा करने के लिये आते हैं, पौराणिक महत्व वाली इस जगह को झरने के फिर से बहने के बाद आस-पास के लोगों ने आबाद करना शुरु कर दिया है।

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प्राचीन काल में पूरे साल बहता था झरना
पांडवों द्वारा अवतरित किया गया ये झरना अब से 30 साल पहले तक पूरे साल लगातार बहता था, इसमें अरावली पर्वत पर 7 कुंड निर्मित थे, यहां से नीचे बने एक कुंड में लोग स्नान करते थे, पिछले कुछ सालों में अत्यधिक खनन और कम बारिश की वजब से इसका प्राकृतिक स्त्रोत सूख गया था, हालांकि पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश होने के बाद झरने की छटा बदल गई है, इस जगह का प्रताप भी धीरे-धीरे लौटने लगा है, क्योंकि लोगों का पूजा-पाठ के लिये आना-जाना भी बढ गया है।

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