पति की मौत के बाद बनी कुली, अपनी कमाई से कर रही बच्चों लालन-पालन, बुंदेलखंड की संध्या बनी मिसाल
बुंदेलखंड की बेटी संध्या मारावी कुली का काम कर रह अपने बच्चों को पाल रही है, संध्या उन सभी के लिए मिसाल है जो जिंदगी की कठिनाईयों से हारकर बैठ जाते हैं ।
New Delhi, Sep 16: संध्या मारावी, बुदेलखंड की ये बेटी कुली बनकर महिला सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर रही है । मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर संध्या 65 पुरुष कुलियों के बीच अकेली महिला कुली है । वो जिस साहस से इस काम को करती है, उसके देखकर हर कोई उसकी हिम्मत की दाद देता है । संध्या के जिंदगी पति के रहते इतनी मुश्किल नहीं थी । लेकिन 2015 में पति की मौत से सब कुछ बदल गया ।
2015 में पति की मौत
2015 तक संध्या एकदम सामान्य लोगों की तरह गुजर बसर कर रही थी, पति – बच्चों के साथ वो सुख से रह रही थी । पेशे से मजदूर पति जितना भी कमाता था उसमें वो घर चलाकर बच्चों को पाल रही थी । लेकिन 2016 में पति की मौत ने सब कुछ बदलकर रख दिया ।
पूरी ज्म्मिेदारी संध्या पर थी
पति की मौत के बाद एकदम से संध्या के कंधों पर घर की पूरी जिम्मेदारी आ गई । घर का खर्च चलाना की बड़ी चुनौती बन गया, लेकिन संध्या ने हार ना मानने का फैसला किया । तय किया कि वो कुली बनेगी और बच्चों को खुद संभलेगी । समाज की चिंता किए बिना संध्या मारावी ने 2017 में अपना काम शुरू कर दिया।
महिलाओं के लिए प्ररेणा
संध्या आज इलाके के लिए ही नहीं पूरे देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं । वो काम के लिए रोज घर से करीब 45 किलोमीटर का सफर तय कर कटनी रेलवे स्टेशन पहुंचती हैं, ताकि अपने बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य सुधार सकें । संध्या को देख वो लोग कुछ सीख सकते हैं, जो सब कुछ हार कर जिंदगी में चुप बैठ गए हैं और किस्मत का रोना रोते हैं ।