यूपी चुनाव में बीजेपी के लिये एक्स फैक्टर साबित होगी प्रियंका गांधी?, जानिये Inside Story

प्रियंका गांधी ने प्रभारी महासचिव के तौर पर 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीति में कदम रखा, उस दौरान उन्होने राहुल गांधी के साथ लखनऊ में एक बड़ा रोड शो किया था, तब चुनाव में सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन था।

New Delhi, Oct 09 : लखीमपुर केस के बाद यूपी में सियासी पारा चढा हुआ है, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा काफी एक्टिव दिख रही हैं, सीतापुर में हिरासत में जाना, गेस्ट हाउस, फिर बाल्मीकि इलाके में झाड़ू लगाना, राहुल गांधी के साथ लखीमपुर पहुंचना, और अब पीएम मोदी के क्षेत्र वाराणसी में रविवार को महारैली का आयोजन, इन सभी कामों की वजह से प्रियंका जबरदस्त चर्चा में हैं, अब कुछ लोग इसे यूपी में सबसे पुरानी पार्टी के दोबारा जीवित होने की उम्मीद के तौर पर देख रहे हैं, लेकिन बीजेपी प्रियंका को मिल रही सियासी तरजीह से परेशान नहीं दिख रही है।

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क्या है फैक्टर
देखा जाए, तो ऐसा लग रहा है कि प्रियंका गांधी को एक फैक्टर के तौर पर दिखाना बीजेपी की रणनीति है, जबकि प्रदेश में बीजेपी के प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा, बसपा हैं। priyanka-gandhi दरअसल 2014, 2017 और 2019 में सवर्णों और मुसलमानों ने कांग्रेस को कुछ वोट दिये थे, लेकिन इनकी संख्या असर दिखाने के लिये काफी नहीं थी, अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को मिल रही सियासी तवज्जो के जरिये बीजेपी ये सुनिश्चित करना चाहती है कि किन्ही कारणों से उनसे नाराज प्रदेश के सवर्ण मतदाता सपा या बसपा के बजाय कांग्रेस को वोट दें, हालांकि इसके पीछे एक बड़ा कारण भी है।

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योगी ने किया इशारा
सीएम योगी ने शुक्रवार को न्यूज 18 से बात करते हुए कहा था कि बसपा समेत विपक्षी दल लखीमपुर हिंसा में मारे गये ब्राह्मण युवकों के परिजनों से मिलने क्यों नहीं गये, इसी दौरान उन्होने प्रियंका गांधी के सीतापुर में झाड़ू लगाने पर कहा, कि जनता ने उन्हें वहां पहुंचा दिया है, इससे प्रेरित कांग्रेस ने अब प्रदेश में नया अभियान शुरु कर दिया है, Yogi Adityanath जिसमें पार्टी आरोप लगा रही है कि सीएम ने दलितों और महिलाओं का अपमान किया है। हालांकि सपा-बसपा लखीमपुर मामले में पिछड़ते दिख रहे हैं, इन दलों के कुछ नेताओं ने तो आरोप यहां तक लगाया कि बीजेपी और कांग्रेस में फिक्सड मैच है, वो इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कैसे प्रियंका को सोमवार को सीतापुर जाने दिया जाए, जबकि अखिलेश को उस दिन घर से बाहर भी नहीं निकलने दिया गया था, अब सवाल ये है कि क्या उत्साही कांग्रेस 2022 में बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी, या फिर सपा-बसपा को बड़ी चोट करेगी।

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इतिहास क्या कहता है
प्रियंका गांधी ने प्रभारी महासचिव के तौर पर 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीति में कदम रखा, उस दौरान उन्होने राहुल गांधी के साथ लखनऊ में एक बड़ा रोड शो किया था, तब चुनाव में सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन था, जबकि कांग्रेस अकेले लड़ रही थी, विपक्षी गठबंधन के खाते में 80 में सिर्फ 15 सीटें ही आई। कांग्रेस ने राहुल गांधी की सीट अमेठी भी गंवा दी, सिर्फ रायबरेली ही कांग्रेस के खाते में आई। इस चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालेंगे, तो काफी कुछ पता चलेगा, दरअसल ज्यादातर बीजेपी उम्मीदवार जहां से जीते थे, वहां कांग्रेस उम्मीदवारों ने उतने वोट हासिल किये थे, जितना हार-जीत का अंतर था, यानी अगर कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल होती, तो महागठबंधन में सीटें काफी बढ सकती थी। प्रियंका ने दावा किया था कि उन चुनावों में कांग्रेस लड़ रही सीटों पर जीतेगी, या बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी, लेकिन आंकड़े ये बता रहे हैं कि बीजेपी की मदद कर रही है। संगठन की बात करें, तो यूपी में बीजेपी के लिये सबसे बड़ी चुनौती सपा है, जबकि सबसे कमजोर प्रतिद्वंदी कांग्रेस की जमीन पर स्थिति कुछ बेहतर है, वो ज्यादा आक्रामक नजर आ रही है, ऐसे में प्रियंका के एक्टिव होने से एंटी बीजेपी वोटों का बंटवारा बढेगा, जिससे बीजेपी के लिये चीजें आसान होगी।