ओवैसी, शिवपाल के साथ राजभर ने कर दिया खेल, अखिलेश से मुलाकात कर गठबंधन का ऐलान, Inside Story

ओपी राजभर ने कहा कि यूपी में बीजेपी हिंदू-मुसलमान और भारत-पाकिस्तान कर रही है, 27 अक्टूबर को मऊ जिले में होने वाले महापंचायत में अखिलेश यादव जी को आने का न्योता दिया है।

New Delhi, Oct 20 : यूपी चुनाव में काफी पहले से बीजेपी के खिलाफ खुलकर बोलने वाले सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर अब सपा के साथ आ गये हैं, समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है, अखिलेश यादव के साथ करीब घंटे भर की बातचीत हुई, इसके बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होने कहा कि बीजेपी ने सामाजिक न्याय की रिपोर्ट को कूड़े की टोकरी में डाल दिया है, उन्होने कहा कि 27 अक्टूबर के बाद हम सीटों का समझौता करेंगे, भागीदारी संकल्प मोर्चा में सीटों का कोई विवाद नहीं है।

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क्या कहा
ओपी राजभर ने कहा कि यूपी में बीजेपी हिंदू-मुसलमान और भारत-पाकिस्तान कर रही है, 27 अक्टूबर को मऊ जिले में होने वाले महापंचायत में अखिलेश यादव जी को आने का न्योता दिया है, बीजेपी को सत्ता से खत्म करने के लिये हमारा उनका समझौता है, सीटों को लेकर कोई झगड़ा नहीं है, उन्होने कहा कि वो बीजेपी के साथ बिल्कुल नहीं जाएंगे, समाजवादी पार्टी एक भी सीट नहीं देगी, तब भी समाजवादी पार्टी के साथ ही रहेंगे।

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कई नेताओं के संपर्क में
अभी कुछ दिन पहले ही राजभर उन नेताओं के संपर्क में थे, जिनसे अखिलेश यादव का 36 का आंकड़ा रहा है, शिवपाल यादव और असदुद्दीन ओवैसी उनमें से दो बड़े नाम हैं, यही नहीं 2 महीने पहले ही राजभर अचानक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से भी मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे, पिछले साल जून में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से भी मुलाकात की थी।

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क्या कहा
अखिलेश यादव से मिलने के बाद ओपी राजभर ने कहा कि सपा और सुभासपा साथ मिलकर आये हैं, लेकिन उसी ट्वीट में उन्होने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट भी बता दिया, दूसरी पार्टियों के नेताओं से हुई मुलाकातों को भी उन्होने शिष्टाचार मुलाकात की बताया था, अब सवाल ये उठता है कि राजभर चाहते क्या हैं, rajbhar akhilesh उन्होने यूपी चुनाव में उतरने के लिये 10 दलों का भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया था, जो अब खंड-खंड हो चुका है, शिवपाल, ओवैसी, चंद्रशेखर को छोड़करस लगता है कि राजभर ने एकला चलो की राह पकड़ ली है, क्योंकि बाकी तीनों नेताओं का अखिलेश के साथ आना फिलहाल तो संभव नहीं दिखता।

क्यों चली ऐसी चाल
ओपी राजभर 2017 का चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़े थे, सरकार बनने के बाद वो मंत्री भी बने थे, लेकिन बाद में मंत्री पद छोड़ दिया, फिर बीजेपी के खिलाफ खुलकर बगावत करने लगे, लेकिन उन्हें भी ये अच्छे से पता है कि बिना किसी बड़े दल के साथ आये उन्हें सीटें नहीं मिल सकती है, मोर्चे में शामिल छोटे दलों की बदौलत किसी एक विधानसभा सीट को भी जीतना संभव नहीं है, ऐसे में राजभर ने ये चाल चल गदी है, उन्हें पता है कि सीट जीतने के लिये किसी ऐसी पार्टी का साथ चाहिये, जिसके पास कम से कम 20 फीसदी का सॉलिड वोटबैंक हो, सुभासपा जैसी जाति आधारित पार्टियों का वोट शेयर अपने मजबूत इलाकों में भी 10 फीसदी से कम ही रहता है, ऐसे में यदि उनका किसी बड़ी पार्टी से गठबंधन नहीं होगा, तो सीटें जीत पाना मुश्किल होगा।