मुस्लिम वोटबैंक को लेकर मायावती ने बदली अपनी चाल, बीजेपी को हो सकता है बड़ा फायदा, Inside Story

अब सवाल ये है कि मायावती ने रणनीति क्यों बदल दी है, क्या मायावती ने विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों की आस खो दी है, क्या उनको लगने लगा है कि मुस्लिम वोटबैंक का बिखराव नहीं होने जा रहा है।

New Delhi, Nov 10 : मुस्लिम वोटबैंक को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी चाल बदल दी है, 2019 लोकसभा चुनाव में मुसलमानों से वोट मांगने वाली मायावती को अब इस बार का चुनाव साम्प्रदायिक क्यों लगने लगा है, उन्होने बीजेपी तथा सपा पर सीधा आरोप लगाया है कि दोनों पार्टियां चुनाव को हिंदू-मुस्लिम करना चाहती है, जिस मायावती ने सीधी जुबान से मुसलमानों से कभी वोट मांगा था, अब इस शब्द से वो इतनी सावधान क्यों दिखने लगी है, आखिर उन्होने अपनी रणनीति क्यों बदल दी है।

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इनसाइड स्टोरी
इसे समझने से पहले थोड़ा पीछे चलते हैं, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान सहारनपुर की रैली में मायवाती ने सीधे मंच से कहा था कि बीजेपी को कांग्रेस नहीं हरा सकती है, बल्कि महागठबंधन ही हरा सकता है, ऐसे में मुसलमानों को किसी और को नहीं बल्कि महागठबंधन को वोट देना चाहिये, मायावती के इस बयान के बाद लोकसभा चुनाव में जबरदस्त ध्रुवीकरण देखने को मिला था, इसी वक्त सीएम योगी ने बजरंग बली और आजम खान ने बजरंग अली का नारा दिया था, चुनाव आयोग ने ऐसे ध्रुवीकरण को लेकर काफी नाराजगी भी जाहिर की थी, तब सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब अचानक मायावती ने चाल बदल दी है, मुसलमानों से वोट मांगने वालीनेता को इस बार का चुनाव साम्प्रदायिक लगने लगा है, मायावती ने बीजेपी तथा सपा पर चुनाव को साम्प्रदायिक करने के आरोप लगाये हैं, उन्होने कहा कि चुनाव को हिंदू-मुस्लिम करने के लिये ही जिन्ना और अयोध्या जैसे मुद्दों को आगे बढाया जा रहा है, उन्होने ये भी कहा कि बीजेपी तथा समाजवादी पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

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चुनाव में ध्रुवीकरण का नुकसान बसपा को
अब सवाल ये है कि मायावती ने रणनीति क्यों बदल दी है, क्या मायावती ने विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों की आस खो दी है, क्या उनको लगने लगा है कि मुस्लिम वोटबैंक का बिखराव नहीं होने जा रहा है, इसके दो पहलू समझे जा सकते हैं, पहला तो ये कि चुनाव में ध्रुवीकरण का नुकसान तो बसपा को उठाना ही पड़ेगा, बीजेपी तथा आरएसएस की ये लंबी कोशिश रही है, कि किसी भी तरह से दलितों को हिंदू के खांचे में लाया जाए, वो इस मामले में काफी हद तक सफल भी हुए हैं, ऐसे में चुनाव में ध्रुवीकरण तेज हुआ, तो मायावती के वोटबैंक में और भी तगड़ी सेंध लग जाएगी, कुछ दिनों पहले आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) चीफ चंद्रशेखर ने इस ओर इशारा भी किया था, उन्होने लखनऊ में कहा था कि दलितों को हिंदू बनने से रोकना जरुरी है, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की आंधी में वोटर पहले हिंदू हो जाता है, उसकी नजर में धर्म सबसे बड़ा हो जाता है, उसके बाद ही वो जाति के बारे में सोचता है, ऐसे में किसी भी पार्टी के परंपरागत वोटरों में भी बड़ी टूट हो जाया करती है, मायावती को इससे जरुर ही घबराहट हो रही होगी।

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ध्रुवीकरण की वजह से चुनाव बीजेपी बनाम सपा हो जाएगा
दूसरा पहलू भी मायावती के लिये कम चिंताजनक नहीं है, लखनऊ के शिया कॉलेज में समाजशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि चुनाव में जितने ज्यादा साम्प्रदायिक मुद्दे हावी होते जाएंगे, उतना ही चुनाव बीजेपी बनाम सपा में सिमटता जाएगा, दूसरी पार्टियों की हिस्सेदारी कम होती जाएगी, ऐसा दिखने भी लगा है, आये दिन बीजेपी और सपा में ऐसे ही मुद्दों पर जुबानी जंग हो रही है, अयोध्या, अयोध्या कारसेवकों पर फायरिंग, जिन्ना, पलायन और घर वापसी की चर्चा जोर पकड़ रही है, ऐसे मुद्दे जितने ज्यादा उठते जाएंगे, उतना ही ज्यादा चुनाव दो दलों की बीच सिमटता जाएगा, ध्रुवीकरण की आंधी में हिंदू वोटर बीजेपी की ओर और मुस्लिम वोटर सपा की ओर गोलबंद होते जाएंगे, मायावती ने ये बखूबी समझ लिया है, इसलिये अपना स्टैंड अचानक से बदल लिया है।