नोटबंदी स्पेशल- 800 टन नोट को क्यों भेजा गया दक्षिण अफ्रीका, जानिये पूरी कहानी

रिपोर्ट के अनुसार चलन से बाहर किये गये इन नोटों का वजन हजारों टन था, जिसमें एक हिस्सा जिसका वजन करीब 800 टन था, उसे प्रोसेस कर दक्षिण अफ्रीका भेजा गया।

New Delhi, Nov 10 : आज से ठीक 5 साल और 2 दिन पहले की तारीख यानी 8 नवंबर 2016 की रात 8.30 बजे, जब पीएम मोदी ने उस समय चलन में मौजूद 500 और 1000 रुपये के नोटों को स्वीकार करने की घोषणा की थी, तो देश तथा दुनिया में हड़कंप मच गया, मोदी की इस घोषणा से देश में 15.41 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 1000 के नोट अवैध करार दे दिये गये, देश की कुल करेंसी में इन नोट्स की हिस्सेदारी 86 फीसदी थी, लेकिन क्या आपको पता है कि इन अवैध करार दिये गये नोटों का क्या हुआ।

Advertisement

दक्षिण अफ्रीका भेजा गया
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इन नोटों का एक हिस्सा दक्षिण अफ्रीका भेजा गया, दरअसल रिपोर्ट के अनुसार चलन से बाहर किये गये इन नोटों का वजन हजारों टन था, जिसमें एक हिस्सा जिसका वजन करीब 800 टन था, उसे प्रोसेस कर दक्षिण अफ्रीका भेजा गया। अखबार के सूत्रों के मुताबिक 800 टन वजन के इन पुराने नोटों को केरल के उत्तरी मालाबार क्षेत्र की एक प्लाई बोर्ड फैक्ट्री में भेजा गया, यहां इन नोटों को टुकड़ा-टुकड़ा कर हार्ड बोर्ड बनाया गया, इन हार्ड बोर्ड्स का इस्तेमाल वहां महात्मा गांधी की क्षतिग्रस्त मूर्ति ठीक करने में किया गया।

Advertisement

नोट काटने के लिये 27 सेंटर
रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई ने चलन से बाहर किये गये इन हजारों टन नोटों को काटने के लिये देशभर में 27 श्रेडिंग सेंटर बनाये गये थे, एक ऐसा ही श्रेडिंग सेंटर मालाबार जिले में बनाया गया था, इसके लिये वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड लिमिटेड को नोटबंदी से एक महीने पहले ही ठेका दे दिया गया था, डब्लयूआईपीएल की फैक्ट्री कुन्नूर जिले में स्थित है, कंपनी ने इन नोटों से हार्ड बोर्ड तथा सॉफ्ट बोर्ड बनाने का काम किया, करीब 800 टन वजनी नोटों के कतरन से कंपनी ने करीब 1 साल तक हार्ड बोर्ड बनाने का काम किया।

Advertisement

आरबीआई के साथ काम कर रही थी कंपनी
कंपनी के एक प्रवक्ता ने अखबार से कहा, कि नोटबंदी से पहले ही आरबीआई के साथ मिलकर कंपनी काम कर रही थी, इसके बाद हमने करेंसी नोटों से हार्डबोर्ड बनाने का फैसला लिया, इसके लिये आरबीआई में टेंडर डाला, नोटबंदी से काफी पहले हमें पुराने खराब नोटों की कतरन की पहली खेप अक्टूबर 2016 में मिली थी। कंपनी ने बताया कि करेंसी नोट बनाने में हाई क्वालिटी के कागज का इस्तेमाल होता है, वो काफी पतला होता है, नोटों के कतरन को सबसे पहले रिसाइक्लिंग डीलरों को सौंपा जाता है, उन्होने पहले इसे ब्रिक्वेट्स में तब्दील किया, फिर आरबीआई को लौटा दिया, इसके बाद इन्हें प्लाईबोर्ड फैक्ट्री में भेजा गया है, जहां इनसे हार्ड बोर्ड बनाया गया।