जन्म के बाद लोगों ने कहा फेंक दो, अब 29 साल की उम्र में खड़ा कर दिया करोड़ों का बिजनेस

श्रीकांत बोला का जन्म 1992 में आंध्र प्रदेश के एक किसान फैमिली में हुआ, वो जन्म से ही दृष्टिबाधित थे, उनके माता-पिता को लोगों ने राय दी कि वो उन्हें किसी अनाथालय में छोड़ आएं, लेकिन माता-पिता ने हमेशा उनका साथ दिया।

New Delhi, Dec 17 : मंजिल पाने के लिये कड़ी मेहनत के साथ दृढ संकल्प की जरुरत होती है, इस बात को एक बार फिर से सही साबित कर दिया है आंध्र प्रदेश के श्रीकांत बोला ने, जिन्होने अपनी मेहनत के बूते ना सिर्फ अपना बिजनेस खड़ा किया, बल्कि उसे काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया, आज उनकी कहानी से लोग प्रेरित होते हैं, श्रीकांत बोला की कहानी फिल्मी लगती है, लेकिन एकदम सच है, उन्होने जीवन में काफी चुनौतियों का सामना किया, वो जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं, इसके बाद भी सिर्फ 29 साल की उम्र में उन्होने करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया, आइये उनकी सक्सेस स्टोरी आपको बताते हैं।

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जन्म से दृष्टिबाधित
श्रीकांत बोला का जन्म 1992 में आंध्र प्रदेश के एक किसान फैमिली में हुआ, वो जन्म से ही दृष्टिबाधित थे, उनके माता-पिता को लोगों ने राय दी कि वो उन्हें किसी अनाथालय में छोड़ आएं, लेकिन माता-पिता ने हमेशा उनका साथ दिया, उनके टीचर्स तथा साथियों ने भी खूब नजरअंदाज किया, स्कूल में उन्हें सबसे पीछे बैठाया जाता था, लेकिन श्रीकांत में हमेशा से कुछ अलग करने की चाह थी, इसी चाह ने उन्हें जन्म से दृष्टिबाधित होने के बावजूद आज करोड़ों के बिजनेस का मालिक बना दिया।

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आईआईटी में पढना था सपना
श्रीकांत साइंस पढना चाहते थे, लेकिन इसके लिये उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा, जैसे-तैसे करके उन्होने साइंस में पढाई की, बचपन से ही वो पढाई में होशियार थे, 12वीं बोर्ड में 98 फीसदी नंबर आये, उनके रिजल्ट को देख सब हैरान थे, इसके बाद उन्होने आईआईटी की तैयारी शुरि की, कोचिंग सेंटर ने उनका एडमिशन लेने से मना कर दिया, लेकिन इसके बाद भी उन्होने हार नहीं मानी, सही मार्गदर्शन ना मिलने की वजह से वो आईआईटी तो नहीं जा सके, लेकिन आज आईआईटी के स्टूडेंट्स उन्हें अपना आइडियल मानते हैं।

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अमेरिका से की पढाई
आईआईटी में एडमिशन नहीं मिलने के बाद श्रीकांत ने अमेरिका के टॉप टेक्नोलॉजी स्कूल एमआईटी के लिये आवेदन किया, वो नेत्रहीन चयन होने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय छात्र बन गये, पढाई पूरी करने के बाद वो चाहते तो वहीं रहकर लैविश लाइफ जीते, लेकिन उन्होने देश वापस लौटने का फैसला लिया, यहां आकर अपनी कंपनी की शुरुआत की, उन्होने 9 साल पहले बोलेंट इंडस्ट्रीज की शुरुआत की, जो आज करोड़ों की कंपनी है। श्रीकांत की प्रतिभा को देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने पहचाना, उनकी कंपनी में निवेश किया, बोलेंट इंडस्ट्रीज जो पैकेजिंग सॉल्यूशन तैयार कतरती है, मजबूती से आगे बढती गई, कंपनी ने 2018 तक 150 करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिल किया, श्रीकांत की कंपनी के 5 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, और कंपनी ने 650 से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है, जिसमें आधे लोग डिफ्रेंटली एबल्ड कैटेगरी से आते हैं।