100 सीटें मांगने वाले अखिलेश के चाचा एक सीट पर क्यों सिमटे, जानिये Inside Story
शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा के नेता और कार्यकर्ता भी सकते में हैं, लेकिन कोई कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहा है, खुद प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव भी अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को यूपी का एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते हुए दिख रहे हैं।
New Delhi, Jan 27 : यूपी में विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद जिस तरह से प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव सिर्फ एक सीट पर ही चुनावी मैदान में उतरे हैं, ये राजनीतिक गलियारों का चर्चा का विषय बना हुआ है, पीएसपीएल प्रमुख शिवपाल यादव इटावा जिले के जसवंतनगर विधानसभा सीट से सपा गठबंधन के उम्मीदवार बनाये गये हैं, जो सपा के साइकिल चुनाव चिन्ह से लड़ रहे हैं, इस सीट से पहले शिवपाल के बेटे आदित्य के चुनाव में उतरने की चर्चा थी, लेकिन अब आदित्य के इस बार चुनाव लड़ने की संभावनाएं कम हो गई है, कोई राजनीतिक विश्लेषक ये नहीं समझ पा रहा है कि आखिरकार चुनाव से पहले 100 से ज्यादा सीटों की मांग करने वाले शिवपाल सिर्फ 1 सीट में कैसे मान गये।
प्रसपा के कार्यकर्ता भी सकते में
सिर्फ इतना ही नहीं खुद शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा के नेता और कार्यकर्ता भी सकते में हैं, लेकिन कोई कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहा है, खुद प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव भी अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को यूपी का एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते हुए दिख रहे हैं, सिर्फ इतना ही नहीं उन्होने अपने बड़े भाई तथा सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के मुकाबले अखिलेश को अब अपना नया नेता मान लिया है, शिवपाल साफ तौर से कई बात ये बात कह चुके हैं, कि अब सपा के नये नेता उनके भतीजे अखिलेश यादव हो चुके हैं, उनका अखिलेश को यूपी का सीएम बनाना एकमात्र लक्ष्य है।
साइकिल पर चुनाव लड़ेंगे शिवपाल
वैसे शिवपाल यादव इस बात को कई दफा कह चुके हैं, कि वो पारिवारिक एकता के लिये किसी भी तरह का समर्पण देने के लिये तैयार हैं, हो ना हो, यही एक मात्र वो वजह है, जिसके चलते शिवपाल ने अपने कदम पीछे खींच लिये हो, विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले बीजेपी के नेता जिस तरह से शिवपाल की बेहिसाब तारीफ करने में जुटे हुए थे, उससे ये बात राजनीतिक हलकों में चर्चा के केन्द्र में बनती चली जा रही थी, कि कहीं बीजेपी से शिवपाल की नजदीकी तो नहीं है, कुछ ऐसे ही सवालों से शिवपाल का परेशान होना लाजिमी है।
शिवपाल की पार्टी को लगा बड़ा झटका
यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर अगर नजर डालें, तो पाएंगे शिवपाल की प्रसपा ने पिछले साल से ही जबरदस्त तैयारियां शुरु कर दी थी, यूपी की राजनीति को करीब से समझने वाले विश्लेषक कहते हैं, कि शिवपाल ने तो अपने राजनीतिक गठबंधन से पहले ही कई सीटों पर उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाने की ना सिर्फ हामी भरी थी, बल्कि उनका टिकट तक फाइनल कर दिया था, लेकिन जब समझौता सपा के साथ हुआ, तो शिवपाल की पार्टी से टिकट की चाह रखने वाले ऐसे बड़े-बड़े नेताओं का अब फिलहाल कोई राजनीतिक भविष्य नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि सपा शिवपाल की पार्टी में पद और कद रखने वाले नेताओं को फिलहाल टिकट देने के मूड में नजर नहीं आ रही है।