अखिलेश यादव की मुश्किलें बढाएगी बीजेपी, चाचा शिवपाल को उनके बगल में बैठाने की तैयारी, Inside Story

यूपी के सियासी गलियारों में इस बात की जबरदस्त चर्चा है, कि प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव की बीजेपी से बढती नजदीकियां उन्हें यूपी विधानसभा में विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा सकती है।

New Delhi, Apr 04 : सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज चल रहे उनके चाचा शिवपाल यादव के बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच एक नई खबर फिर से चर्चा में आ गई है, राजनीतिक हलकों में शिवपाल को लेकर ऐसा कहा जा रहा है, कि बीजेपी उन्हें विधानसभा में डिप्टी स्पीकर का पद दे सकती है, हालांकि क्या शिवपाल इस पद को स्वीकार करने के लिये तैयार हैं, ये भी एक बड़ा सवाल है।

Advertisement

तो अखिलेश के बगल में बैठेंगे शिवपाल
यूपी के सियासी गलियारों में इस बात की जबरदस्त चर्चा है, कि प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव की बीजेपी से बढती नजदीकियां उन्हें यूपी विधानसभा में विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा सकती है, अगर वाकई में ऐसा होता है, shivpal तो शिवपाल सदन में अपने भतीजे तथा नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के नजदीक ही बैठेंगे, विधानसभा उपाध्यक्ष की सीट सदन में नेता प्रतिपक्ष के बगल में ही होती है।

Advertisement

अखिलेश-शिवपाल के बीच बढ रही दूरियां
प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट से लगातार 6ठीं बार विधायक चुने गये हैं, हमेशा की तरह इस बार भी शिवपाल ने सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल से ही चुनाव लड़ा, shivpal yadav 10 मार्च को मतगणना में जब सपा गठबंधन सत्ता से दूर रह गई, तो शिवपाल ने अपने भतीजे अखिलेश की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने शुरु किये, जिससे अखिलेश यादव से उनकी दूरियां बढती जा रही है, सपा उन्हें अपने विधायक से ज्यादा सहयोगी दल प्रसपा का अध्यक्ष मानती है।

Advertisement

बीजेपी से करीबी के संकेत
होली के अवसर पर मुलायम, रामगोपाल और अखिलेश यादव के साथ सैफई में होली खेलने वाले शिवपाल 26 मार्च के बाद ये कहकर बिफर गये, कि उन्हें सपा की मीटिंग में नहीं बुलाया गया, लेकिन जब 29 मार्च को बुलाया गया, तो शिवपाल ने बैठक में शामिल होने की जगह भर्थना में भागवत सुनना पसंद किया, इस बीच 30 मार्च क शिवपाल ने शपथ ग्रहण के साथ ही सीएम योगी से उनके आवास पर मुलाकात की, फिर नवरात्रि के पहले दिन सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और सीएम योगी को फॉलो करना शुरु कर दिया। शिवपाल के इन कदमों से उनके बीजेपी में जाने के संकेत मिल रहे हैं, उन्हें राज्यसभा भेजे जाने और उनकी सीट जसवंत नगर से बेटे आदित्य को उपचुनाव में उतारने की भी चर्चा है, राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बीजेपी के रणनीतिकारों के पास राज्यसभा के अलावा उपाध्यक्ष बनाने का भी विकल्प है, विधानसभा में इस बार अखिलेश यादव ने बतौर नेता प्रतिपक्ष आक्रामक तेवर के संकेत दे दिये हैं, ऐसे में विधानसभा उपाध्यक्ष के तौर पर शिवपाल को बिठाकर बीजेपी अखिलेश यादव पर मनोवैज्ञानिक बढत बनाने की कोशिश करेगी।

बीजेपी पहले भी चल चुकी है ऐसी ही चाल
सपा विधायक शिवपाल यादव के लिये बीजेपी उसी तरह की रणनीति अपना सकती है, जैसी उसने तत्कालीन सपा विधायक नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने के लिये अपनाई थी, और उसमें वो कामयाब भी हुई थी, नितिन अग्रवाल सपा से विधायक थे, राजनीतिक मतभेद के चलते बीजेपी के साथ चले गये थे, जानकार बताते हैं कि संसदीय परंपरा के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष का और उपाध्यक्ष विपक्ष का होता है, इसलिये तकनीकी तौर पर सपा विधायक नितिन अग्रवाल को बीजेपी ने विपक्ष का प्रत्याशी मानते हुए उन्हें निर्विरोध विधानसभा उपाध्यक्ष निर्वाचित करवा दिया था, इसके लिये सपा की इच्छी नहीं थी, लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाई, अब नितिन अग्रवाल बीजेपी से चुनाव जीत कर योगी सरकार में आबकारी मंत्री हैं, ऐसे में अब इतिहास अगर जल्द खुद को दोहराये तो हैरत नहीं होगी।