पहले बीजेपी, फिर नीतीश, ममता से भी दोस्‍ती … अब कांग्रेस, कितने दिन बनेगी PK की बात?

प्रशांत किशोर अब हाथ के साथ हैं, सियासत की दुनिया में वो अलग-अलग घाट का पानी पीते रहे हैं, लेकिन राजनीति में ये उनका पहला कदम है । लेकिन कब तक, सवाल ये भी है ।

New Delhi, Apr 18: अपनी नई राजनीतिक पारी कांग्रेस के साथ शुरू करने जा रहे प्रशांत किशोर को लेकर कई सवाल सबके मन में हैं । राजनीति के जानकारों के लिए इस चुनावी रणनीतिकार का ये कदम विश्‍लेषण से परे है । दरअसल पीके कांग्रेस में शामिल तो हो रहे हैं, लेकिन इसकी रूपरेखा अभी तक तैयार नहीं हुई है । पीके इससे पहले बीजेपी के करीब रह चुके हैं, तो वहीं जेडीयू तो लगभग ज्‍वॉइन ही कर चुके थे । बतौर उपाध्यक्ष वो नंबर दो के नेता माने जाते थे, लेकिन ये साथ चला नहीं । ममता से भी करीबी हुईं लेकिन सियासत में काम नहीं चला । अब पीके कांग्रेस के साथ अपनी सियासी पारी कैसे आगे बढ़ाएंगे, ये बड़ा सवाल है ।

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कांग्रेस के साथ पीके
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस का ‘हाथ’ थामकर अपनी नई सियासी पारी का आगाज कर सकते हैं । दरअसल पीके ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेताओं के सामने 2024 में sonia rahulजीत की रणनीति पर रोडमैप रखा है । इसे लेकर  कांग्रेस नेताओं का एक ग्रुप एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा । इसके बाद ही पीके की कांग्रेस में एंट्री की रूपरेखा तय होगी । जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के इतिहास में पहली बार किसी एक व्यक्ति को लेकर ऐसी कवायद हो रही है । पीके को पार्टी में लाना है या किसी और तरह से उनसे काम लेना है इस पर चर्चा हो रही है ।

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साल भर से है चर्चा
प्रशांत किशोर का कांग्रेस में शामिल होना ये कोई नई खबर नहीं है, पिछले एक साल से ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं । पीके को लेकर सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ कई बार बैठक कर चुके हैं, लेकिन अब एक बार फिर से उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा है । हालांकि ये कब और कैसे होगा कह नहीं सकते ।  दरअसल कुछ समय पहले खुद पीके ने गोवा में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी पर निशाना साधा था, कहा था कि बीजेपी कई दशकों तक कहीं जाने वाली नहीं । पीके ने ये भी कहा कि, राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि उन्हें लगता है कि ये बस कुछ समय की बात है और लोग खुद ही नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे । उन्‍होंने तो ये तक कह दिया था कि कांग्रेस को यूपीए के अध्यक्ष का पद छोड़ देना चाहिए, क्योंकि पूरे विपक्ष का मतलब कांग्रेस नहीं है, उसमें और भी पार्टियां हैं । इतना ही नहीं पीके ने कई और बातें कांग्रेस को लेकर कही थीं ।

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कांग्रेस में कब तक?
कांग्रेस के साथ पीके के तल्‍ख रिश्‍तों से हर कोई वाकिफ है, उनकी राहुल गांधी से पहली मुलाकात साल 2015 में सीएम नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में हुई थी । तब बताया गया था कि राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर से उत्तर प्रदेश को लेकर सलाह मांगी थी । जिसके बाद पीके ने अपनी टीम के साथ सलाह-मशवरा करके कांग्रेस के लिए 2017 में चुनावी रणनीति के लिए काम किया था और साथ ही पंजाब की भी जिम्मेदारी ली थी । 2017 के यूपी चुनाव में पीके प्रियंका गांधी को चेहरा बनाना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आपत्ति जता दी । इसके बाद पीके के कहने पर ही कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा । लेकिन नतीजों ने दोनों दलों को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा । पश्चिम बंगाल चुनाव में पीके ममता दीदी के भी साथ रहे, इसके बाद पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए चुनावी रणनीति बनाने के लिए राजी हुए थे । पीके ने पंजाब में लगभग कांग्रेस की कमान संभाल ही ली थी, वो अमरिंदर के सलाहकार नियुक्त हुए थे । लेकिन कुछ ही दिनों में पीके ने अपने पद से इस्तीफा दे यदिया । कांग्रेस में गुटबाजी के कारण पीके ने पहले ही सरेंडर कर दिया ।

जेडीयू के साथ भी नहीं रहे पीके
प्रशांत किशोर ने 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम किया था, जिसके बाद वो खूब सुर्खियों में आए । बीजेपी की 2014 की प्रचंड जीत के बाद सबने पीके के दिमाग का लोहा माना । लेकिन मोदी के पीएम बनते ही बीजेपी से पीके की नहीं बनी । इसके बाद बिहार चुनाव में वो जेडीयू के पास आए । 2015 के बाद सक्रिय रूप से सियासत में कदम रखा, 2018 में पार्टी में एंट्री भी हुई । जेडीयू में उन्हें शामिल करने का ऐलान करते हुए नीतीश कुमार ने पीके को पार्टी का ‘भविष्य’ बताया था । महज एक महीने में पीके को पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया गया था, जिससे पार्टी के भीतर हलचल मच गई थी । सीनियर नेताओं ललन सिंह और आरसीपी सिंह को दरकिनार कर पीके को जगह देना कइयों को खल गया । 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे में पीके की अहम भूमिका रही, लेकिन पार्टी को तब पीके खल गए जब उनकी कंपनी आईपैक ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की चुनावी रणनीति बनाने की कमान संभाली । इतना ही नहीं पीके दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आप के लिए भी काम करते दिखे । दूरी बढ़ाने का काम सीएए और एनआरसी पर जेडीयू के स्टैंड से अलग जाकर पीके के ट्वीट ने कर दिया । अब प्रशांत कांग्रेस में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं । लेकिन कांग्रेस का ढांचा बहुत पुराना है, कई वरिष्ठ नेता हैं, जिनके अपने-अपने गुट हैं । ऐसे में पीके की राह कैसी होगी, अभी कहना मुश्किल है ।