राज्यसभा का दांव चल सचिन पायलट का पत्‍ता काटने की तैयारी में अशोक गहलोत, लगा रहे गणित

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही अंतर्कलह कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी हुई, अब राज्‍यसभा चुनाव के जरिए सीएम गहलोत अपना अलग ही गणित लगा रहे हैं ।

New Delhi, Jun 06: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के मनभेद और मतभेद किसी से छुपे नहीं । पायलट तो कई बार विरोध के सुर मुखर कर चुके हैं, हालांकि हर बार उन्‍हें आलाकमान मनाने में कामयाब रहा है । लेकिन दोनों की अंतर्कलह से कांग्रेस टेंशन में जरूर है । वहीं राज्‍यसभा चुनाव के बीच गहलोत की चिंता कुछ और ही है । माना जा रहा था कि इस चुनाव के जरिए कांग्रेस राजसथान पायलट के जिम्‍मे सौप देगी लेकिन गहलोत का गणित ऐसा होने देगा लग नहीं रहा ।

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मुलाकातों का दौर जारी
राज्यसभा चुनाव के बाद सूबे की कमान पायलट को सौंपे जाने की अटकलों के बीच सीएम गहलोत राज्यसभा चुनाव का गणित साधने में लगे हैं। सूबे के 13 निर्दलीय विधायकों में से 10 विधायकों ने मंगलवार रात को मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवारों से मुलाकात की। पार्टी सूत्रों की ओर से बताया गया है कि मुलाकात के दौरान राजस्थान में 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनावों पर चर्चा की गई । मुलाकात में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला भी मौजूद थे।

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10 जून को चुनाव
राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होगा। कांग्रेस ने तीन उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं, वहीं भाजपा ने एक उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है जबकि भाजपा ने हरियाणा के राज्यसभा सांसद और मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा का समर्थन किया है। आपको बता दें सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है, बीजेपी उनका सपोर्ट कर रही है । जबकि कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत के लिए निर्दलीय विधायकों और अन्य दलों के विधायकों के समर्थन की उम्मीद है।

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कुर्सी बचाने की जद्दोजहद
आपको बता दें, राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के बाद बदलाव होने के कयास लग रहे हैं । राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के ऐलान के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस में विरोध के स्वर सामने आए हैं । पार्टी कह रही है कि संभावित बदलाव संगठन और सरकार दोनों स्तर पर किए जा सकते हैं । कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान को यह संदेश भी गया है कि सीएम गहलोत की कांग्रेस के स्थानीय नेताओं और विधायकों पर पकड़ कमजोर हुई है। अब ऐसे में गहलोत राज्यसभा चुनाव का गणित साधकर एकबार फिर अपनी कुर्सी को बचाने का मजबूत दावा ठोकने की तैयारी में हैं।